हाय….आंटीज..अंकल्स एंड दीदी लोग..या..दिस इज मी..रामप्यारी.. आज शाम के नये सवाल मे आपका स्वागत है. तो आईये अब शुरु करते हैं आज का “कुछ भी-कही से भी” मे आज का सवाल.
सवाल है : इन पत्तियों को पहचानिये?

तो अब फ़टाफ़ट जवाब दिजिये. तब तक रामप्यारी की रामराम.
Promoted By : ताऊ और भतीजा
32 comments:
27 September 2009 at 18:01
Morpankhi
27 September 2009 at 18:03
Peach Tree
27 September 2009 at 18:04
क्रिसमस ट्री
27 September 2009 at 18:14
इसको हम हिन्दुस्तानी में 'मोरपंखी' ही बोलते हैं
अब अंग्रेजी में पता नहीं क्या नाम है, इसके बारे में समीर जी बताएँगे !
27 September 2009 at 18:21
यह जबाब रामप्यारी के लिए नहीं, प्रकाश जी के लिए है.
मोर पंखी को अंग्रेजी में Oriental thuja, Oriental arborvitae कहते हैं.
बोटनिकल नाम: Platycladus orientalis
27 September 2009 at 18:24
CHAMAECYPARIS obtusa 'Nana'Nana Hinoki Cypress
27 September 2009 at 18:26
इमली का पेड़ लग रहा है मुझे तो, थोड़ा ज्यादा ही बड़ा हो गया.
27 September 2009 at 18:27
अरे, ये पक्का आंवला है. मैं भी कहाँ कहाँ भटक रहा था, बताओ. इतना सरल जबाब.
27 September 2009 at 18:32
धनिए के पत्ते। कभी-कभी ऐसे पत्ते भी आते हैं।
27 September 2009 at 18:32
Amorpha canescens Pursh
27 September 2009 at 18:36
सेमल का पेड़...रुई निकलती है इसके फल से. :)
वो ही मैं सोचूं कि देखा देखा लग रहा है. भारत में मेरे घर के सामने लगा है.
घर की याद दिला दी राम प्यारी तूने. अति भावुक चित्र. :)
27 September 2009 at 18:43
आज अगर मैं पहेली का जबाब नहीं दे पा रहा हूँ तो इसके लिए इस धरती के समस्त मानव जिम्मेदार हैं. वन सारे काट डाले, कहाँ जाऊँ जबाब खोजने.
कांकिट जंगलों में पत्तियाँ नहीं होती बस चलते फिरते प्रेतनुमा ठूंठ होते हैं.
मैने कहा था न कि हम अपनी हरकतों का एक दिन खमिजयाना भरेंगे, आज वही हो रहा है.
अभी भी समय है: हे मानव!! संभल जा. अब भी रोक अपना कृत्य..वन की रक्षा करो और पहेली का जबाब ढ़ूंढ़ो.
वरना आने वाली नस्लों के लिए हर पेड़ रामप्यारी की पहेली ही होगा जिसे वो बूझ न पायेंगे.
-पर्यावरण की रक्षा किजिये-
27 September 2009 at 18:56
उड़नतशतरी जी , आपकी तबियत तो ठीक है ना ?
27 September 2009 at 18:59
क्या नाम बताया है ...वाह
हा,,,,हा,,,हा,,,हा,,,हा,,,हा..हा,,,,हा,,
हंसी नहीं रुक रही
सेमल का पेड़ :)
हा,,,हा,,,,हा,
समीर जी मजा आ गया नाम सुनकर
बस आप यहाँ आया जरूर करो
27 September 2009 at 19:24
गरिमा जी को मेरी तबीयत खराब लग रही है, हा हा!! अब हँसे हैं..अब बताओ, कैसी लगी तबीयत. प्रकाश गोविन्द जी की तो हँसी ही नहीं रुक रही, लेकिन मैं चुप बैठा हूँ. :)
27 September 2009 at 19:24
समीर जी आपकी चिंता जायज है !
मैं शुरू से ही निरंतर कटते पेडों की वजह से व्यथित हूँ ! शहर के अन्दर जो बचे-खुचे पेड़ थे वो भी सड़कें चौडी करने के कारण ख़त्म हो रहे हैं !
आप एक अपील क्यूँ नहीं करते कि हर एक ब्लॉगर
2 अक्टूबर को 100 -100 पेड़ लगाए ?
- एक सदस्यी पर्यावरण समिति
[जब 100 पेड़ कहेंगे तो दो-चार तो लग ही जायेंगे ]
27 September 2009 at 19:25
अरे धत ..का आप लोग भी न.....ई भांग का गाछ है जी ...चाहे खैनी होगा....हम नहीं खाते हैं त का ..पहिचान नहीं पायेंगे..ई कैसे सोचे....उडनतशतरी जी ई आदमी तो एक दिन भुगतबे करेगा....अपना किया ..काटने दिजीये अभी ...बाद में अपने कट जायेगा लोग..
27 September 2009 at 20:14
ये मोर पंखी ही है
27 September 2009 at 20:49
बहमत का ही जवाब मेरा - मोरपंखी
27 September 2009 at 21:26
वर्मा जी, बहुमत का जमाना खतम हुआ..सरकार तक तो अल्पमत वालों से पूछ पुकार कर बनती है..हा हा!!
27 September 2009 at 23:20
कौआ पंखी नही चलेगा क्या?
27 September 2009 at 23:21
अच्छा ये तो हरा है,इस्लिये हीरामन यानी तोता पंखी होगा?
27 September 2009 at 23:21
अरकेरिया।
28 September 2009 at 01:08
है तो यह साग...मतलब धनिये की गठ्ठी के साथ रखा रहता है..इसकी गठ्थियाँ भी ...शायद सोया होता है..सोया..आलू के साथ सब्जी बनाते हैं..
28 September 2009 at 01:35
soya nahin hai?????????????..dhaniya ki young leaves ko ek saath kar ke picture li hai....dhnaniye ki gaddi mein aisee paattiyan bhi hoti hain beech beech mein..lekin mujhe ab bhi soya hi lag raha hai...
@Raampyari ko dhashhara ki mangal kamnayen....:)
---
28 September 2009 at 03:01
प्रेमलता जी का बहुत बहुत आभार.
उनके जबाब ने एक दिशा दी और मैं वन से निकल कर अपनी छोटी सी बगिया में तलाश करने लगा.
तब जाकर देख रहा हूँ कि अरे!!! यह तो गाजर की पत्ती है, हद हो गई रामप्यारी!!
ये देख, यहाँ से खोज कर निकाला, अब यहीं भेज अपने खरगोश दोस्त को पार्टी के लिए:
http://www.frommyfarm.co.uk/images/products/products_48.jpg
28 September 2009 at 13:44
भांग का पेड़ ही लगता है
देखते-देखते नींद आ रही है।
मोरपंखी, इमली, सेमल तो हर्गिज नहीं है।
28 September 2009 at 13:47
भांग का पेड़ ही लगता है
देखते-देखते नींद आ रही है।
मोरपंखी इमली सेमल तो हर्गिज नहीं है।
28 September 2009 at 14:31
ऐसा आभाष होता है कि
किसी अन्तराष्ट्रीय साजिश के तहत मेरी 'हैट्रिक' रोकी जा रही है ! जब भी मेरी हैट्रिक होने वाली होती है तो रामप्यारी फूल-पत्ती उठा लाती है ! ऐसा तीसरी बार हो रहा है !
पत्ती ही लानी थी तो केले का लाती ... ताड़ का लाती ... खजूर का लाती ....पीपल का लाती ... जो मैंने देखे हुए हैं !
बहुत गंभीर मामला है !
28 September 2009 at 17:50
अन्तर्राष्ट्रीय साजिश?? गज़ब!! क्या खोज के निकाला है भाई!!
जरुर पड़ोसी मुल्क का हाथ होगा. अफीम भी वहीं उगती है. :)
28 September 2009 at 17:57
udantashtari ji.....u deserve a big CONGRATULATIONS..!
20 June 2016 at 21:36
भाईयो ये मोरपंखी ही है।हम लोग पहले किताबों में रखते थे।
Post a Comment