"खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी" (125) के सही जवाब का चित्र यह रहा !

और फ़र्रुखाबादी विजेता हैं उडनतश्तरी बधाई!
Udan Tashtari said...
कटरीना कैफ
26 November 2009 18:01
पहली तो यह है कि
कल एक मोहतरमा ने सुझाव दिया था की...(उन्हीं के शब्दों में)...इसका नाम खुला खेल फरुखाबादी नहीं बल्कि "निठ्ठलों की चौपाल" रखना चाहिए.. आप सबकी इस पर क्या राय है? हमको तो यह नाम ज्यादा उपयुक्त लग रहा है. आप इससे सहमत हों तो बताईये.
और दूसरी यह है कि
प. डी.के. शर्मा "वत्स", जी ने उन पर किया गया समस्त जुर्माना जमा करवा दिया है. और उन्होंने इस मामले में उचित न्याय की मांग करते हुये पुनर्विचार की अपील की है. उनकी यह अपील सुनवाई हेतु मंजूर की जाती है. और इस मामले में न्यायोचित फ़ैसला पंचों द्वारा शीघ्र ही दिया जायेगा.
"वत्स" जी उनके द्वारा लिये गये अनुकरणिय फ़ैसले के लिये धन्यवाद दिया जाता है. उन्होने नियम मानकर पंचायत का मान रखा है. अत: पंचायत का भी फ़र्ज बनता है कि फ़ैसले की उचित समीक्षा करे.
वत्स जी द्वारा दायर अपील याचिका इस प्रकार है :-पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...
रामप्यारी हमने पंचों की राय मानकर आवश्यकता से भी अधिक टिप्पणियों का भुगतान तो जरूर कर दिया है...लेकिन हम ये भी मानते हैं कि हमारे साथ धोखा हुआ है...जिसमें समीर लाल जी की भी मिलीभगत दिखाई देती है :)
इसलिए हमें हमें हमारी सभी टिप्पणियाँ मय ब्याज तथा हर्जे खर्चे सहित वापिस की जाएँ :)
27 NOVEMBER 2009 13:54
अगला फ़र्रुखाबादी सवाल आज शाम को ठीक ६ बजे. तब तक रामप्यारी की तरफ़ से नमस्ते.
10 comments:
27 November 2009 at 16:28
badhaai ho ji sameer ji!!!
27 November 2009 at 16:47
समीर जी को बधाई।
जब सही उत्तर मिल गया था तो डा० झटका ने फोटो सीधा कर क्या हिंट दिया??
राम प्यारी जी, क्या इसे डा० झटका का बकरा बनाने का गुप्त प्रयास नहीं माना जाना चाहिए!!
27 November 2009 at 16:50
हम मनचले हो सकते हैं
निठल्ले तो हर्गिज नहीं हैं
27 November 2009 at 17:32
sare hi kam vale hain "nitthalla koi nhi hai. ye to khuchh der manbahlane ka sadhan hai, isliye ise galat rup nhi diya jana chahiye, khel ko man bahalav ke liye khela jata hai. isliye nam yathavat rahna chahiye.
27 November 2009 at 17:32
samir ji ko badhai
27 November 2009 at 17:53
बहुत आभार सभी का.
पं शर्मा जी के संबंध में पंचायत का फैसला देख आंख खुशी से भर आई.
समीर लाल दोषी हैं तो समीर लाल को बकरा मेकर के पुरुस्कार से नवाजा जाये तुरंत. :)
देवेन्द्र भाई सही कह रहे हैं..कल डॉ झटका बकरा मेकर बनने की फिराक में थे. :)
27 November 2009 at 17:53
पहेली के नाम पर पहेली के दौरान डॉ झटका सुझाव मांगे तो ज्यादा बेहतर चिन्तन किया जा सकता है.
27 November 2009 at 17:57
adhaai ho sameerji
27 November 2009 at 17:58
"निट्ठलों की चौपाल" नाम तो सुन्दर है !!! पर इसके मायने लोग समझा नहीं पाएंगे और हमें भी ऐसा महसूस होगा की हम निट्ठले हैं!!! अच्छा हो की कोई ऐसा नाम जैसे "फुर्सतिया चौराहा " या इससे मिलता जुलता कोई नाम हो!!!
27 November 2009 at 18:18
उड़नतश्तरी को बधाई!
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