ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.
सवाल के विषय मे आप तथ्यपुर्ण जानकारी हिंदी भाषा मे, टिप्पणी द्वारा दे सकें तो यह सराहनीय प्रयास होगा.
आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.
आज का सवाल :-
अष्टावक्र ऋषि और उद्दालक ऋषि मे आपस में क्या रिश्ता था? अष्टावक्र द्वारा कौन सा ग्रंथ लिखा गया?
अब ताऊ की रामराम.
उत्तर : -
अष्टावक्र ऋषि के नाना थे उद्दालक ऋषि. और अष्टावक्र के पिता का नाम था कहोड ऋषि, जो की उद्दालक के शिष्य थे. और अष्टावक्र द्वारा रचित ग्रंथ अष्टावक्र गीता के नाम से जाना जाता है.
सीमा गुप्ता और उडनतश्तरी ने सही जवाब दिया. विवरण सीमा गुप्ता की टिप्पणी मे पढ सकते हैं.
12 comments:
10 December 2009 at 08:35
10 December 2009 at 08:54
उद्दालक ऋषि अष्टावक्र के नाना थे
regards
10 December 2009 at 08:56
अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।
regards
10 December 2009 at 08:57
ज्ञान कैसे प्राप्त होता है ? मुक्ति कैसे होगी ? और वैराग्य कैसे प्राप्त होगा ? ये तीन शाश्वत प्रश्न हैं जो हर काल में आत्मानुसंधानियों द्वारा पूछे जाते रहे हैं। राजा जनक ने भी ऋषि अष्टावक्र से ये ही प्रश्न किये थे। ऋषि अष्टावक्र ने इन्हीं तीन प्रश्नों का संधान राजा जनक के साथ संवाद के रूप में किया है जो अष्टावक्र गीता के रूप में प्रचलित है। ये सूत्र आत्मज्ञान के सबसे सीधे और सरल वक्तव्य हैं। इनमें एक ही पथ प्रदर्शित किया गया है जो है ज्ञान का मार्ग। ये सूत्र ज्ञानोपलब्धि के, ज्ञानी के अनुभव के सूत्र हैं। स्वयं को केवल जानना है—ज्ञानदर्शी होना, बस। कोई आडम्बर नहीं, आयोजन नहीं, यातना नहीं, यत्न नहीं, बस हो जाना वही जो हो। इसलिए इन सूत्रों की केवल एक ही व्याख्या हो सकती है, मत मतान्तर का कोई झमेला नहीं है; पाण्डित्य और पोंगापंथी की कोई गुंजाइश नहीं है।
regards
10 December 2009 at 09:15
10 December 2009 at 09:17
अष्टावक्र ऋषि के नाना उद्दालक ऋषि थे जिन्हें वह अपना पिता समझते थे.
अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।
10 December 2009 at 09:17
अष्टावक्र ऋषि के नाना उद्दालक ऋषि थे जिन्हें वह अपना पिता समझते थे.
अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।
10 December 2009 at 09:33
gyanvardhan hua,abhaar.
10 December 2009 at 09:35
दोनों भाई थे.. समस्त भारतिय मेरे भाई बहन है.. तो हुऐ न.. :)
10 December 2009 at 11:00
सीमा जी ने सब बता ही दिया है.
10 December 2009 at 11:30
ताऊ जी राम-राम, आज हम स्वामी ललितानंद जी के साथ बिलासपुर एक "द्सोठण" कार्यक्रम मे जा रहे हैं, इसलिए शाम की पहेली हमारी अनुपस्थिति रहेगी, आप रामप्यारी को आदेश दे कि हमे विजेता घोषित कर सकते हैं हम उत्तर आकर दे देंगें,रोज के ग्राहक को उधारी भी देनी पड़ती है, राम-राम
10 December 2009 at 13:44
सीमा जी द्वारा दी गयी जानकारी प्रंशसनीय है !
अब तो इनके जवाब के बाद दुसरे जवाब की गुंजाईश ही नहीं रह जाती !
आभार !
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