ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.
सवाल के विषय मे आप तथ्यपुर्ण जानकारी हिंदी भाषा मे, टिप्पणी द्वारा दे सकें तो यह सराहनीय प्रयास होगा.
आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.
आज का सवाल :-
गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी का दैत्यराज वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा के साथ क्या रिश्ता था?
अब ताऊ की रामराम.
उत्तर :-
देवयानी और शर्मिष्ठा के बीच पहला रिश्ता तो बचपन मे सखियों का था. बाद मे कुछ गलतफ़हमियों की वजह से शर्मिष्ठा को दासी बनकर देवयानी के साथ जाना पडा, जब देवयानी और ययाति का विवाह हुआ. और बाद मे शर्मिष्ठा के ययाति के साथ अंतरंग संबंध बन गये तो सौत के रुप मे भी उनके संबंधों को देखा गया.
इस विषय मे
अल्पना वर्मा और सीमा गुप्ता ने बहुत विस्तृत जानकारी उनकी टिप्पणियों मे दी है जो इसी पोस्ट की टिप्पणियों मे पढ सकते हैं. और उडनतश्तरी ने भी बिल्कुल सही जानकारी दी है.
9 comments:
11 December 2009 at 08:34
गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी शर्मिष्ठा ki सखी थी।
regards
11 December 2009 at 08:35
यह राजा वृषपर्वा की पुत्री थी। वृषपर्वा के गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी उसकी सखी थी। एक बार क्रोध से उसने देवयानी को पीटा और कूएँ में डाल दिया। देवयानी को ययाति ने कूएँ से बाहर निकाला। ययाति के चले जाने पर देवयानी उसी स्थान पर खड़ी रही। पुत्री को खोजते हुए शुक्राचार्य वहाँ आए। किंतु देवयानी शर्मिष्ठा द्वारा किए गए अपमान के कारण जाने को राज़ी न हुई। दुःखी शुक्राचार्य भी नगर छोड़ने को तैयार हो गए। जब वृषपर्वा को यह ज्ञात हुआ तो उसने बहुत अनुनय-विनय किया। अंत में शुक्राचार्य इस बात पर रुके कि शर्मिष्ठा देवयानी के विवाह में दासी रूप में भेंट की जाएगी। वृषपर्वा सहमत हो गए और शर्मिष्ठा ययाति के यहाँ दासी बनकर गई।
regards
11 December 2009 at 08:42
उपर्युक्त दोनो जवाबों मे से जो सही है ...मेरा भी मान ले ...:) ...!!
11 December 2009 at 08:55
शर्मिष्ठा देवयानी के विवाह में दासी रूप में भेंट की गई.
11 December 2009 at 09:14
ताऊ ये रिश्ते हमारी समझ से बाहर है.. कुछ आसान सवाल पुछो.. हम भी भाग ले..:(
11 December 2009 at 10:16
देवयानी का दैत्यराज वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा के साथ ' रिश्ता 'दासी सखी ' का था ही उनमें गहरी मित्रता थी .
इसके साथ ही एक और रिश्ता दोनो में था.
देवयानी के पति राजा ययाति के साथ शर्मिष्ठा के संबंध थे,वह उनकी सहचर्या थी.
शर्मिष्ठा के साहचर्य से तीन पुत्र हुए - दुह्य , अवु और पुरू ।
यह बात बहुत बाद में देवयानी को मालूम हुई थी,इसी पर क्रोधित हो कर उसने अपने पिता द्वारा ययाती को श्राप दिलवाया था वह असमाय वृद्ध हो गये थे,और यायती के बेटे पुरु ने अपना योवन उन्हें दे दिये था.यह पुरु
शर्मिष्ठा-यायती का ही बेटा था.बाद में यह यौवन यायती ने पुरु को लौटा भी दिया था--लंबी कहानी है.!
सीधी बात यह की एक तरह से शर्मिष्ठा ,देवयानी की सौतन भी हुई.
11 December 2009 at 10:22
thoda aur jod dun--
देवयानी को जब इन संबधों का पता चला था तब
उसने शर्मिष्ठा से कहा , शर्मिष्ठे ! मेरी दासी हो कर भी मेरा अप्रिय करने में तू डरी नहीं ? शर्मिष्ठा ने कहा, हे मधुरहासिनी ! मैंने राजर्षि के साथ जो समागम किया है , वह धर्म और न्याय के अनुसार है । फिर मैं क्यों डरूं ? जब तुम्हारी दासी बन कर मुझे उन्हीं के आश्रय में रहना था, तो तुम्हारे साथ ही मैंने भी उन्हें अपना पति मान लिया।
वैसेसवाल से हट कर हमारे शास्त्रों में ऐसे अनेक प्रसंग हैं , जिनमें पिताओं ने अपनी बेटियों को जाति , वर्ण और देश की सीमाओं से बाहर निकल कर पति चुनने की स्वतंत्रता दी है।
महाभारत की देवयानी -ययाती की कथा भी विजातीय विवाह का एक सुंदर उदाहरण भी रही है.
[ देवयानी से राजा यायाती को यदु और तुर्वसु , दो पुत्र हुए थे.]
11 December 2009 at 11:56
seema ji bilkul sahi aur lambi jaankaari deti hain!!!
11 December 2009 at 12:16
अदभुत ...रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियाँ
सीमा जी और अल्पना जी को धन्यवाद
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