ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.
सवाल के विषय मे आप तथ्यपुर्ण जानकारी हिंदी भाषा मे, टिप्पणी द्वारा दे सकें तो यह सराहनीय प्रयास होगा.
आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.
आज का सवाल :-
महाराणा प्रताप की धर्मपत्नि का नाम क्या था ?
अब ताऊ की रामराम.
उत्तर : -
.
इस संबंध में अजब दे का नाम सभी ने बताया है. इस विषय मे सुश्री अल्पना वर्मा ने इनके साथ महाराणा प्रताप का प्रथम विवाह होना बताया है. एवम
अन्य ११ रानियां बताई हैं.
इस विषय मे हमको सुश्री सीमा गुप्ता श्री उडनतश्तरी श्री रंजन श्री दिगम्बर नासवा की टिप्पणियां प्राप्त हुई.
सुश्री अल्पना वर्मा प.श्री डी.के. शर्मा "वत्स", और सुश्री रतन सिंह शेखावत की विस्तृत टिप्पणीयां प्राप्त हुई हैं. जिन्हे आप इसी पोस्ट की टिप्पणीयों में पढ सकते हैं.
इस विषय मे श्री रतन सिंह जी शेखावत ने हमे आश्वस्त किया है कि वो यथाशीघ्र और अधिक जानकारी जुटाकर इस सवाल को अपडेट करवायेंगे
13 comments:
14 December 2009 at 08:46
Ajabade the daughter of Rao Ram Rakh Panwar
regards
14 December 2009 at 09:09
Ajabade, the daughter of Rao Ram Rakh Panwar.
High Regards & haa haa also.
14 December 2009 at 10:54
Ajabade, the daughter of Rao Ram Rakh Panwar.
Very Very High Regards & More haa haa haa haa...:))))
14 December 2009 at 11:06
@ अगर मेरा जवाब गलत हुआ फिर हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा and more ha ha ha ha only...
with regards
14 December 2009 at 11:25
अब सब ने जवाब दे दिया तो कुछ बचा नहीं--तो थोड़ा अतिरिक्त ज्ञान लीजीए-
महाराणा प्रताप का प्रिय जाँबाज घोड़ा चेतक जब मृत हुआ ता उन्होने यह प्रार्थना ईश्वर से की थी.
लोक में रहेंगे परलोक हु ल्हेंगे तोहू,
पत्ता भूली हेंगे कहा चेतक की चाकरी ||
में तो अधीन सब भांति सो तुम्हारे सदा एकलिंग,
तापे कहा फेर जयमत हवे नागारो दे ||
करनो तू चाहे कछु और नुकसान कर ,
धर्मराज ! मेरे घर एतो मत धारो दे ||
दीन होई बोलत हूँ पीछो जीयदान देहूं ,
करुना निधान नाथ ! अबके तो टारो दे ||
बार बार कहत प्रताप मेरे चेतक को ,
एरे करतार ! एक बार तो उधारो||
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बहुत दुख होता है जब देखती हूँ की कक्षाओं में पढ़ाए जाने वाले
इतिहास में अकबर के बदनुमा पहलू को हमेशा से छुपाया जाता रहा ---यह कितने लोग जानते है?की चित्तोड़ में उस ने २७ हज़ार निहत्थे नागरिकों को मरवा दिये था.[कारण बताने की ज़रूरत नहीं है].
-- अकबर पर फिल्में बना दी गयी..लेकिन मुझे याद नहीं आता की महाराणा प्रताप पर कोई फिल्म हिन्दी में बनी हो!
--kis ne kya kiya -history ho gayee---is mein दोष किसी EK का नहीं hai ....हम लोगों में ही एका की कमी है.
14 December 2009 at 12:14
@जो नाम आप सभी jawab mein बता रहे हैं ,उनसे १७ साल की आयुं में राणा प्रताप का प्रथम विवाह हुआ था.
उनकी ११ रानियाँ थी.
उन सभी के नाम सिर्फ़ Shri रतन शेखावत जी ही बता सकते हैं !मुझे तो याद नहीं.
14 December 2009 at 14:46
Ajabade ......
14 December 2009 at 14:57
राजस्थान में आबू पर्वत से 12 कोस पश्चिम में देवल राजपूतों की एक बस्ती के ठाकुर रायधवल की सुपुत्री गुणवती से आषाढ सुदी 9 संवंत 1636 को सम्पन्न हुआ...विवाह पश्चात महराणा प्रताप नें ठाकुर रायधवल को राणा की उपाधी देकर सम्मानित किया.....
विवाह पश्वात पत्नि का नाम गुणवती से बदलकर वीरभद्रे रखा गया और इन्ही को महाराणी का पद प्रदान किया गया....
14 December 2009 at 20:44
अभी तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार महाराणा प्रताप की रानी का नाम अजब दे था जो राव राम रख पंवार की पुत्री थी | इन्ही अजब दे की कोख से राजकुमार अमर सिंह का जन्म हुआ था जो बाद में महाराणा प्रताप सिंह के उत्तराधिकारी बने |
महाराणा प्रताप व उनके परिवार के बारे में और ज्यादा जानकारी http://maharanapratap.net/familyTree.html पर ली जा सकती है |
महाराणा प्रताप की अन्य रानियों के बारे में जानकारी अगले २४ घंटो में मिलने की उम्मीद है अभी अभी राजस्थान के दो इतिहासकारों से संपर्क किया गया जिनमे से एक अपने शहर से बाहर थे और दुसरे वृधावस्था होने के कारण सो चुके थे अत: इस विषय पर विश्वस्त जानकारी अब कल ही मिल पायेगी जो मिलते ही यहाँ लिख दी जाएगी |
14 December 2009 at 20:56
मुग़ल सेना में नियुक्त इतिहासकार अलब दायुनी अपनी पुस्तक में हल्दी घाटी के युद्ध का आँखों देखा हाल इस तरह लिखता है
" रास्ते टेढ़े मेढे और कांटो वाले होने के कारण हमारी हरावल (सेना की अग्रिम पंक्ति ) में गड़बड़ी मच गयी ,जिससे हमारी हरावल की पूरी तरह हार हुई |"
वह फिर लिखता है -
राणा की सेना के दूसरे विभाग ने जिसका नेता स्वयं राणा था , घाटी से निकल कर गाजी खां की सेना पर ,जो घाटी से सिरे पर थी ,हमला किया और उसकी सेना का संहार करता हुआ उसके मध्य तक पहुँच गया - तब सब के सब सीकरी के शहजादे भाग निकले | पर मुल्ला होने पर भी गाजीखां कुछ देर तक तो दृढ़ता पूर्वक डटा रहा ,परन्तु जब उसके दाहिने हाथ का अंगूठा कट गया तब वह भी अपने सैनिको के पीछे पीछे भाग गया |
14 December 2009 at 21:09
सन १९३० में लन्दन में गोल मेज कांफ्रेंस में महात्मा गांधी ने ब्रिटेन से कहा -
सारे यूरोप ने सिर्फ एक थर्मापोली बनायीं है जबकि अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के एक भाग अकेले राजस्थान की हर घाटी को थर्मापोली माना है और वहां राजपूतों ने हजारों लड़ाइयाँ लड़ी है ,क्या उन्हें भी प्रतिरक्षा की कला सिखानी होगी ? सुनकर उपस्थित ब्रिटिश साम्राज्य के प्रतिनिधि अवाक और तर्क शून्य हो गए थे |
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री के अनुसार -
'देश की आज की छाई हुई मुर्दनी को दूर करने के लिए प्रताप का अनुकरण ही एक मात्र अचूक अमोघ अस्त्र है |"
काश ! इसे भारतीय सुने ,स्वीकारें और व्यवहृत करें |
14 December 2009 at 21:11
‘‘माई ऐहडा-पूत जण, जेहा राण प्रताप।
अकबर सूतो ओझके, जाण सिराणे सांप ।।
15 December 2009 at 00:15
मेरे द्वारा ऊपर की टिप्पणी में दी गई जानकारी का स्त्रोत:-
पुस्तक का नाम:- राणा प्रताप का प्रताप
लेखक:- श्री राधाकृ्ष्ण दास (सहायक-कुँवर योधसिँह मेहता,उदयपुर)
वर्ष:- 1923
प्रकाशक:- काशी नागरी प्रचारिणी सभा
भारतजीवन प्रेस--काशी
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