ताऊ की चौपाल मे : दिमागी कसरत - 22


मेरे प्यारे भक्त जनों, ताऊ की चौपाल मे मैं स्वयंसिद्धा माँ चैतन्या रामप्यारी साहिबा आपका स्वागत करती हुं. ईश्वर की अनुकंपा से आपका कल्याण हो. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जाते रहे हैं. आशा है आपको यह प्रयास अवश्य पसंद आया होगा. अब बीच बीच मे (और रविवार को पक्का) मैं प्रवचन देने ताऊजी डाट काम पर आती रहूंगी. आपका दिन शुभ हो. आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हों, यही माताजी का आशिर्वाद!
भक्त जनों जोर से बोलिये स्वयंसिद्धा माँ चैतन्या रामप्यारी साहिबा की जय!


सवाल के विषय मे आप तथ्यपुर्ण जानकारी हिंदी भाषा मे, टिप्पणी द्वारा दे सकें तो यह सराहनीय प्रयास होगा.


आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.


आज का सवाल :-

महाभारत में कीचक कौन था?

अब ताऊ की रामराम.



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Promoted By : ताऊ और भतीजाएवम कोटिश:धन्यवाद

11 comments:

  दिनेशराय द्विवेदी

20 December 2009 at 08:23

वही तो था जिस की आँखों में हमेशा कीच पैदा होता रहता था।

  दिनेशराय द्विवेदी

20 December 2009 at 08:28

गुप्तवास में जिस राजा विराट के यहाँ रहे पाण्डव उसी विराट का साला था, कीचक। द्रोपदी को वह तंग करने लगा था। इसी कारण भीम ने उस का वध कर दिया।

  विवेक रस्तोगी

20 December 2009 at 08:31

राजा विराट का साला कीचक

  Alpana Verma

20 December 2009 at 09:05

स्वयंसिद्धा माँ चैतन्या रामप्यारी साहिबा की जय!

***ये क्या हो गया रामप्यारी!
स्कूल जाने से बचाने के लिए ये नया रूप!***
अब तुम्हें ताई की डाँट & मार से कोई नहीं बचा सकता !!

  Alpana Verma

20 December 2009 at 09:05

बचाने nahin--**बचने

  M VERMA

20 December 2009 at 09:08

कीचक राजा विराट का साला था तथा उनका सेनापति था।

  निर्मला कपिला

20 December 2009 at 10:05

माँ स्वयंसिधे आपके सामने हम कीचक की बात नहीं कर सकते ।गंदी बातें कोई मां के सामने करता हैं कीच तो गंदा होता है न और कीचक भी गंदा हुया। राम राम

  प्रकाश गोविंद

20 December 2009 at 11:34

कीचक राजा विराट का साला था तथा उनका सेनापती था। आज्ञात्वास के समय जब पाण्डव अपनी एक वर्ष की अवधी राजा विराट के यहा व्यतीत कर रहे थे तब वहाँ द्रौपदी "सैरंध्री" नामक एक दासी के रूप मे राजा विराट की पत्नी की सेवा मे कार्यरत थी। उस समय कीचक द्रौपदी "सैरंध्री" पर मोहित हो गया । एक दिन उसने बल़पूर्वक द्रौपदी "सैरंध्री" को पाने की कोशिश की जिसके परिणामस्वरूप भीम ने कीचक का वध कर दिया।

  गगन शर्मा, कुछ अलग सा

20 December 2009 at 13:41

महाभारत का एक और नशेड़ी, गंजेड़ी, कामी, उद्दंड़, अहंकारी, उच्श्रृंखल खलनायक। जिसका बाकि परिचय ऊपर हो ही चुका है।

  Murari Pareek

20 December 2009 at 15:10

सर्व प्रथम चैतन्या देवी को दंडवत प्रणाम!!! और कीचक के बारे में भग्तजनों ने बता ही दिया!!!

  Gyan Darpan

20 December 2009 at 23:13

प्रश्न का उत्तर तो ऊपर कई टिप्पणियों में दिया चूका है हम तो देवी चैतन्या को दंडवत प्रणाम करने ही आये है जो स्वीकार करें देवी जी !

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