ताऊ की चौपाल मे : दिमागी कसरत - 24

ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.

सवाल के विषय मे आप तथ्यपुर्ण जानकारी हिंदी भाषा मे, टिप्पणी द्वारा दे सकें तो यह सराहनीय प्रयास होगा.


आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.


आज का सवाल :-

कर्ण कौन से देश का राजा था?



अब ताऊ की रामराम.



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Promoted By : ताऊ और भतीजाएवम कोटिश:धन्यवाद

13 comments:

  seema gupta

22 December 2009 at 08:27

कर्ण अंग देश का राजा था
regards

  seema gupta

22 December 2009 at 08:28

कर्ण महाभारत के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण की वास्तविक माँ कुंती थी। कर्ण का जन्म कुंती के पांडु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था, और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाईयों के विरुद्ध लड़ा। वह सूर्य पुत्र था। कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण ने कभी भी किसी माँगने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप उसके अपने ही प्राण संकट में क्यों ना पड़ गए हों।

कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था।[१] तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही।

कर्ण की छवि द्रौपदी का अपमान किए जाने और अभिमन्यु वध में उसकी नकारात्मक भूमिका के कारण धूमिल भी हुई थी लेकिन कुल मिलाकर कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है।

regards

  seema gupta

22 December 2009 at 08:29

कर्ण महाभारत के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण की वास्तविक माँ कुंती थी। कर्ण का जन्म कुंती के पांडु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था, और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाईयों के विरुद्ध लड़ा। वह सूर्य पुत्र था। कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण ने कभी भी किसी माँगने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप उसके अपने ही प्राण संकट में क्यों ना पड़ गए हों।

कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था।[१] तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही।

कर्ण की छवि द्रौपदी का अपमान किए जाने और अभिमन्यु वध में उसकी नकारात्मक भूमिका के कारण धूमिल भी हुई थी लेकिन कुल मिलाकर कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है।

regards

  seema gupta

22 December 2009 at 08:30

कर्ण, दुर्योधन का एक निष्ठावान और सच्चा मित्र था।

यद्यपि वह बाद में दुर्योधन को खुश करने के लिए द्यूतक्रीड़ा में भागीदारी करता है, लेकिन वह आरंभ से ही इसके विरुद्ध था। कर्ण शकुनि को पसंद नहीं करता था, और सदैव दुर्योधन को यही परमर्श देता कि वह अपने शत्रुओं को परास्त करने के लिए अपने युद्ध कौशल और बाहुबल का प्रयोग करे ना कि कुटिल चालों का। जब लाक्षागृह में पाण्डवों को मारने का प्रयास विफल हो जाता है, तब कर्ण दुर्योधन को उसकी कायरता के लिए डांटता है, और कहता है कि कायरों की सभी चालें विफल ही होती हैं और उसे समझाता है कि उसे एक योद्धा के समान कार्य करना चाहिए और उसे जो कुछ भी प्राप्त करना है, उसे अपनी वीरता द्वारा प्राप्त करे। चित्रांगद की राजकुमारी से विवाह करने में भी कर्ण ने दुर्योधन की सहायता की थी। अपने स्वयंवर में उसने दुर्योधन को अस्वीकार कर दिया और तब दुर्योधन उसे बलपूर्वक उठा कर ले गया। तब वहाँ उपस्थित अन्य राजाओं ने उसका पीछा किया, लेकिन कर्ण ने अकेले ही उन सबको परास्त कर दिया। परास्त राजाओं में जरासंध, शिशुपाल, दंतवक्र, साल्व, और रुक्मी इत्यादि थे। कर्ण की प्रशंसा स्वरूप, जरसंध ने कर्ण को मगध का एक भाग दे दिया। भीम ने बाद में श्रीकृष्ण की सहायता से जरासंध को परास्त किया लेकिन उससे बहुत पहले कर्ण ने उसे अकेले परास्त किया था। कर्ण ही ने जरासंध की इस दुर्बलता को उजागर किया था कि उसकी मृत्यु केवल उसके धड़ को पैरों से चीर कर दो टुकड़ो मे बाँट कर हो सकती है।

अंगराज बनने के पश्चात कर्ण ने ये घोषणा करी कि दिन के समय जब वह सूर्यदेव की पूजा करता है, उस समय यदि कोई उससे कुछ भी मांगेगा तो वह मना नहीं करेगा और मांगने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटेगा। कर्ण की इसी दानवीरता का महाभारत के युद्ध में इन्द्र और माता कुंती ने लाभ उठाया।

महाभारत के युद्ध के बीच में कर्ण के सेनापति बनने से एक दिन पूर्व इन्द्र ने कर्ण से साधु के भेष में उससे उसके कवच-कुंडल माँग लिये, क्योंकि यदि ये कवच-कुंडल कर्ण के ही पास रहते तो उसे युद्ध में परास्त कर पाना असंभव था, और इन्द्र ने अपने पुत्र अर्जुन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कर्ण से इतना बडी़ भिक्षा माँग ली लेकिन दानवीर कर्ण ने साधु भेष में देवराज इन्द्र को भी मना नहीं किया और इन्द्र द्वारा कुछ भी वरदान माँग लेने पर देने के आश्वासन पर भी इन्द्र से ये कहते हुए कि "देने के पश्चात कुछ माँग लेना दान की गरिमा के विरुद्ध है" कुछ नहीं माँगा।

इसी प्रकार माता कुंती को भी दानवीर कर्ण द्वारा यह वचन दिया गया कि इस महायुद्ध में उनके पाँच पुत्र अवश्य जीवित रहेंगे, और वह अर्जुन के अतिरिक्त और किसी पाँडव का वध नहीं करेगा।

regards

  Udan Tashtari

22 December 2009 at 08:33

अंग का राजा



इसीलिए अंगराज कहलाये!!

  वाणी गीत

22 December 2009 at 08:51

कर्ण अंग प्रदेश के राजा थे ...!!

  अजय कुमार झा

22 December 2009 at 08:51

कर्ण अंग देश का राजा था , जिसे युवराज दुर्योधन ने अपने हिस्से का राज्य दे कर उसका अभिषेक किया था ताकि वो अर्जुन को कौशल परीक्षा में ललकारने के लिए उसके समकक्षक बन सके ।

  Alpana Verma

22 December 2009 at 09:03

कर्ण 'अंग देश 'का राजा था.

[कमाल है अभी तक किसी का जवाब नहीं आया!]

  Alpana Verma

22 December 2009 at 09:04

oh..ok...Moderation hai isliye comments nahin dikh rahe:)

  Alpana Verma

22 December 2009 at 09:04

oh..ok...Moderation hai isliye comments nahin dikh rahe:)

  Murari Pareek

22 December 2009 at 11:01

कर्ण अंगदेश का रजा था !!!

  K.K._________________

22 December 2009 at 11:19

karna was a king of anga (now- Bhagalpur in Bihar state , India)

this is my first comment on this blog

  K.K._________________

22 December 2009 at 11:36

Karna as the ruler of Angas (now its known as Bhagalpur in Bihar state)

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