ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.
सवाल के विषय मे आप तथ्यपुर्ण जानकारी हिंदी भाषा मे, टिप्पणी द्वारा दे सकें तो यह सराहनीय प्रयास होगा.
आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.
आज का सवाल :-
पेड पौधों मे भी मनुष्यों की तरह सुख दुख की प्रतिक्रियायें होती हैं. यह किस वैज्ञानिक ने प्रमाणित किया था?
अब ताऊ की रामराम.
उत्तर :-
उपरोक्त सवाल का सही जवाब है. डा. जगदीशचंद्र बसु ( सन १८५८ - १९३७)
और विवेक रस्तोगी
जी. के. अवधिया
ललित शर्मा जी,
उडनतश्तरी और इस विषय मे आप प्रकाश गोविंद के द्वारा दी गई जानकारी टिप्पणी में विशेष रुप से देख सकते हैं.
15 comments:
3 December 2009 at 08:37
अरे ये तो अपने भारत के ही थे बसु
3 December 2009 at 08:38
श्री जगदीशचन्द्र बसु!
3 December 2009 at 08:39
प्रमाणित करने की क्या ज़रूरत थी...हम भारतीयों को तो यह बात पहले से ही पता थी जी
3 December 2009 at 08:58
श्री जगदीशचन्द्र बसु!
3 December 2009 at 09:00
हमने तो पौधो को रोना रोते नहीं देखा..
3 December 2009 at 09:11
ये हमारे रिशी मुनियों ने पहले प्रमाणित किया उन्हें देख कर ही किसी ने अपने नाम से इसे पेटेंट करवा लिया होगा
3 December 2009 at 09:12
जगदीशचन्द्र बसु!
3 December 2009 at 09:16
अरे वाह आज तो लगता है कि मैं जीत गया ताऊ की चौपाल की दिमागी कसरत में ।
3 December 2009 at 10:34
सभी विजेतावो को ( मेरा मतलब सही जबाब देने वालो को )मेरी तरफ से वधाई और घणी राम-राम !
3 December 2009 at 10:38
'दिमागी कसरत' में भी समीर जी को नहीं आना क्या ??
3 December 2009 at 12:02
भारतीय वैज्ञानिक श्री जगदीश चन्द्र बसु जी ने सर्वप्रथम प्रमाणित किया था कि पेड़-पौधों में भी मनुष्यों की तरह सुख-दुःख की प्रतिक्रियाएं होती हैं । उनमें भी संवेदनशीलता होती है । इन्होंने एक यन्त्र "क्रेस्कोग्राफ़" का आविष्कार किया और इससे विभिन्न उत्तेजकों के प्रति पौधों की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया। इस तरह से इन्होंने सिद्ध किया कि वनस्पतियों और पशुओं के ऊतकों में काफी समानता है।
श्री जगदीश चन्द्र बसु को भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्व का गहरा ज्ञान था। ये पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया। वनस्पति विज्ञान में इन्होंने कई महत्त्वपूर्ण खोजें की। साथ ही ये भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्त्ता थे। ये भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने एक अमरीकन पेटेंट प्राप्त किया। इन्हें रेडियो विज्ञान का पिता माना जाता है। ये विज्ञान कथाएँ भी लिखते थे, और इन्हें बंगाली विज्ञान कथा - साहित्य का पिता भी माना जाता है ।
बसु का जन्म बंगाल (अब बांग्लादेश) में मेमनसिंह में हुआ था। इनके पिता भगवान चन्द्र बसु ब्रह्म समाज के नेता थे ।
3 December 2009 at 15:19
सब सही हैं । श्री जगदीश चन्द्र वसु ने ही सबसे पहले यह साबित किया था।
3 December 2009 at 15:45
dr. jagdish chandra basu ne paudhon se baatchit karke babul ke ped pe phul khilaaye the!!
3 December 2009 at 17:16
श्री जगदीश चन्द्र वसु
3 December 2009 at 19:13
Prakash ji ka jawab bahut achchha laga..
dhnywaad.
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