ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.
सवाल के विषय मे आप तथ्यपुर्ण जानकारी हिंदी भाषा मे, टिप्पणी द्वारा दे सकें तो यह सराहनीय प्रयास होगा.
आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.
आज का सवाल :-
महाभारत युद्ध में कौरवों के सेनापति कौन कौन थे? क्रमश: नाम बताईये?
अब ताऊ की रामराम.
उत्तर :-
अजयकुमार झा
दिलीप कवठेकर और
प्रकाश गोविंद ने बिल्कुल सही जवाब दिये हैं. इस विषय पर प्रकाश गोविंद की विस्तृत टिप्पणी पढ सकते हैं.
6 comments:
6 December 2009 at 08:51
भीष्म, द्रोण ,कर्ण, शल्य
6 December 2009 at 09:11
भीष्म, द्रोण, कर्ण, शल्य,और अश्वत्थामा ...
बांकी और भी थे ...लेकिन नाम मालूम नहीं .....ओह मुझे नहीं जी ..खुद पांडवों को ....अभी अभी बताया उन्होंने ..कह रहे थे ..हमें तो ऊपर से और्डर था ..जो सामने आ रहा मारते जाओ....नाम वाम बाद में चेक कर लेना
6 December 2009 at 10:43
Bhishma,Dron,karna,shalya & Ashvasthaamaa.
6 December 2009 at 11:00
ha ha..ha. lambi list bananni padegII ajayji!!!
6 December 2009 at 12:36
श्री अजय झा जी का जवाब सही है !
क्रमशः भीष्म, द्रोण, कर्ण, शल्य,और अश्वत्थामा कौरवों के सेनापति थे
1.भीष्म :
दुर्योंधन के विचारों, नीतियों और दुष्कर्मों के घोर विरुद्ध रहते हुए भी महाभारत युद्ध में भी कौरव सेना का सेनापतित्व करना पड़ा। जबकि मन से पाण्डवों के पक्षधर थे।
2.द्रोणाचार्य :
ऋषि भारद्वाज के पुत्र और ऋषि परशुराम के शिष्य जो कि कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के गुरु भी थे। महाभारत युद्ध के समय भीष्म मरणासन्न अवस्था में पहुँचने पर द्रोणाचार्य को कौरव पक्ष का सेनापति नियुक्त किया गया ।
3.कर्ण :
तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही थे क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही थे और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ थे । महाभारत का युद्ध आरंभ होने से पूर्व, भीष्म ने, जो कौरव सेना के प्रधान सेनापति थे, कर्ण को अपने नेतृत्व में युद्धक्षेत्र में भागीदारी करने से मना कर दिया था । इस कारण कर्ण भीष्म की मृत्यु के पश्चात ग्यारहवें दिन ही युद्धभूमि में आ पाए थे ! द्रोणाचार्य के पश्चात कर्ण को सेनापति बनाया गया था ।
4.शल्य :
मद्रदेश के राजा जो पांडु के सगे साले और नकुल व सहदेव के मामा थे। परंतु महाभारत में इन्होंने पांडवोंका साथ नहीं दिया और कर्ण के सारथी बन गए थे। कर्ण की मृत्यु पर युद्ध के अंतिम दिन इन्होंने कौरव सेना का नेतृत्व किया और उसी दिन युधिष्ठिर के हाथ मारे गए।
5.अश्वत्थामा :
जब भीम ने दुर्योधन को गदा-युद्ध में पराजित कर दिया और उसकी जंघा तोड़ दी ! तब अश्वत्थामा ने दुर्योधन से अनुरोध किया कि मेरे जीवित रहते कौरवों की हार कभी नहीं हो सकती ! आप कृपया मुझको सेनापति नियुक्त कीजिये ! तब रक्त से सने दुर्योधन ने अश्वत्थामा के मस्तक पर रक्त से तिलक किया और उसे सेना पति नियुक्त किया !
7 December 2009 at 10:55
Abhaar.
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