ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.
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आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.
आज का सवाल :-
महाभारत में विदुर कौन थे?
अब ताऊ की रामराम.
उत्तर :-
सही उत्तर के लिये इसी पोस्ट की टिप्पणियों में श्री उडनतश्तरी सुश्री सीमा गुप्ता श्री पी.सी.गोदियाल, श्री संजय बेंगाणी श्री अजय कुमार झा डा.रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक, की टिप्पणीयां पढें.
9 comments:
16 December 2009 at 08:54
विदुर कौरवो और पांडवो के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।
16 December 2009 at 09:02
विदुर विदुर थे...
16 December 2009 at 09:19
16 December 2009 at 09:21
परम्परा से विदुर एक नीतिज्ञ के रूप में विख्यात हैं। विदुर धृतराष्ट्र के मन्त्री किन्तु न्यायप्रियता के कारण पाण्डवों के हितैषी थे। विदुर के ही प्रयत्नों से पाण्डव लाक्षागृह में जलने से बचे थे। विदुर को उनके पूर्व जन्म का धर्मराज कहा जाता है। महाभारत-युद्ध को रोकने के लिए विदुर ने यत्न किये पर अन्तत: असफल रहे। इनकी प्रसिद्ध रचना 'विदुर नीति' के अन्तर्गत नीति सिद्धान्तों का सुन्दर निरूपण हुआ है। युद्ध के अनन्तर विदुर पाण्डवों के भी मंत्री हुए। जीवन के अन्तिम क्षणों में इन्होंने वनवास ग्रहण कर लिया तथा वन में ही इनकी मृत्यु हुई। हिन्दी नीति काव्य पर विदुर के कथनों एवं सिद्धान्तों का पर्याप्त प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
regards
16 December 2009 at 09:37
समीर जी से सहमत !
विधुर ध्रितराष्ट्र और पांडु के(half Brother) आधा भाई थे . वह एक दास नौकरानी के बेटे थे !
16 December 2009 at 09:44
ye seemaa jee bhee shaayad sotee naheeM hai sab se pahale aa jaatee haiM javaab le kar le de kar hame ek savaal kaa javaab aayaa to seemaa jee ham se aage pahuMMc gayee| calo apanee apanee takadeer hai dhanyavaad seemaa jee badhaai
16 December 2009 at 15:01
विदूरनीति के रक्चनाकार विदूर दासीपूत्र थे तथा पाण्डू व धृतराष्ट्र के भाई थे. वे हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री भी थे.
16 December 2009 at 16:01
दासी के गर्भ से उत्पन्न , मगर देव अंश होने के कारण प्रकांड पंडित , राजनीति और कूटनीति के साथ साथ वैवहारिक ज्ञान के सामंजस्य से महाराज ध्रतराष्ट्र को हमेशा ही उचित सलाह देने के लिए विख्यात हुए । राजधर्म निभाने में हमेशा ही भीष्म और द्रोण के साथ हस्तिनापुर के लिए पूरी तरह समर्पित और निष्ठावान रहे । इन्हीं कारणो से इनकी नीतियां और नीतिगत बातें ..विदुर नीति कहलाईं
16 December 2009 at 20:59
विदुर कौरवो और पांडवो के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।
समार लाल जी ने सही कहा है!
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