बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं.
जैसा कि आप जानते हैं कि आज मैं आयोजक के बतौर यह अंक पेश कर रहा हूं.
आपका इस खेल को संचालित करने मे मुझे पुर्ण सहयोग मिलता आया है और उम्मीद करता हूं कि अब आने वाले दिनों में भी मिलता रहेगा. इस खेल मे आप लोगो के सहयोग से रोचकता बरकरार है. सभी इसका आनंद ले रहें हैं. आगे भी लेते रहें और अब रिजल्ट पेश करने के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" भी अमेरिका से पलट आये है. तो आईये अब आज का बहुत ही आसान सवाल आपको बताते हैं :-
नीचे का चित्र देखिये और बताईये कि ये क्या है?

तो अब फ़टाफ़ट जवाब दिजिये. इसका जवाब कल शाम को 4:00 तक आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" देंगे. आज मैं और डाक्टर झटका खेल दौरान आपके साथ रहेंगे.
"बकरा बनाओ और बकरा मेकर बनो"
.टिप्पणियों मे लिंक देना कतई मना है..इससे फ़र्रुखाबादी खेल खराब हो जाता है. लिंक देने वाले पर कम से कम २१ टिप्पणियों का दंड है..अधिकतम की कोई सीमा नही है. इसलिये लिंक मत दिजिये.
207 comments:
12 January 2010 at 18:05
तितली....
12 January 2010 at 18:09
पंडितजी नमस्ते. ये ततैया है.
12 January 2010 at 18:23
तितली.
12 January 2010 at 18:27
सभी को मेरा राम-राम !
12 January 2010 at 18:27
न तितली है न ततैया ,
ये एक तरह का शायद चार बारीक पंखो वाला एक तितली प्रजाति का प्राणी है नाम नहीं आ रहा याद जिसे हम बचपन में हवाई जहाज कहकर इसके पीछे दौड़ते थे !
12 January 2010 at 18:28
मक्खी है। बडी वाली।
12 January 2010 at 18:28
वत्स साहब लगता है आपकी कल की धमकी काम कर गई :)
12 January 2010 at 18:29
पंडित जी-नमस्ते।
रेखा जी नमस्ते
गोदियाल जी नमस्ते
मकरंद को शुभाषिश
12 January 2010 at 18:29
ललित जी को राम-राम मख्की की सींग नहीं होते !
12 January 2010 at 18:30
गोदियाल जी वही हवाई जहाज है।
हमारे यहां की भाषा में इसे फ़ुरफ़ुंदी कह्ते है।
12 January 2010 at 18:31
बिलकुल ललित जी तो कल अपनी जीत पक्की समझू ?
12 January 2010 at 18:32
प्रणाम सभी सुधिजनो को!!
12 January 2010 at 18:33
गोदियाल साहब..वो हरे वाले टिड्डे की बात तो नहीं कर रहे आप??
12 January 2010 at 18:33
आपको भी समीर जी
12 January 2010 at 18:33
सभी गुणीजनों को नमस्कार्!
गौदियाल जी, धमकी का हमें तो कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा :)
12 January 2010 at 18:33
मकरंद के पास लिंक होगा पक्का!!
12 January 2010 at 18:34
ना-ना टिड्डा नहीं समीर जी ये भौरे की तरह आवाज करके उड़ता है !
12 January 2010 at 18:34
समीर भाई-नमस्ते
12 January 2010 at 18:34
आज १२ तारीख है...१२ और १३ मे संगीता जी ने भूकम्प बताया है, इसीलिए घर में कोना पकड़ कर बैठा हूँ... :)
12 January 2010 at 18:35
जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
ऐसी आवाज है क्या उसकी??
12 January 2010 at 18:35
ब्लाग मालिक से एक शिकायत है कि आपके दरबान महोदय अपनी डयूटी सही तरह से नहीं निभा रहे....उन्हे तो 6 बजे से पहले यहाँ होना चाहिए लेकिन वो अब जाकर 6:30 बजे आ रहे हैं :)
12 January 2010 at 18:36
ये मधुमक्खी है। हा हा हा इसका डंक भी दीख रहा है
12 January 2010 at 18:36
चलो बत्स साहब आपने गुणी शब्द तो इस्तेमाल किया समीर जी तो सुधिजन कह रहे थे, हमारी लोकल भाषा में शुधि-मुधि भी एक शब्द होता है, जिसका अर्थ होता है झूट-मूठ का
12 January 2010 at 18:36
ye forring hai
12 January 2010 at 18:37
साहेब पंडित जी, गिर गया था, लग गई थी..इसलिये देर हो गई शाब!!
(बिस्तर पर गिरा था, नींद लग गई थी)
12 January 2010 at 18:37
sab sant mahanto ko namskaar
12 January 2010 at 18:37
सबों को नमस्कार !!
12 January 2010 at 18:37
बिलकुल घूघूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ
12 January 2010 at 18:38
संगीता जी आज उस भविष्यवाणी को और भी सटीक कर रही हैं। कि घर के किस कोने मे भुकंप आएगा:)
12 January 2010 at 18:38
इस महीने की तनख्वाह से पैसे कटने चाहिए :)
12 January 2010 at 18:38
मधुमख्खी के उड़ने में जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
आवाज कहाँ आती है. गोदियाल जी रो कह रहे हैं कि जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS आवाज करके उड़ता है??
12 January 2010 at 18:39
संगीता जी-प्रणाम
12 January 2010 at 18:39
पैसे कट जाये, चलेगा..बस, अब सजा न बढ़े!!!
12 January 2010 at 18:39
buter fry hi hai ji ye to!!!
12 January 2010 at 18:39
ha..hgaa buter fry khaa lo!!!
12 January 2010 at 18:39
मुरारी जी-स्वागत है।
12 January 2010 at 18:40
अरे पारिख भाई इसे फ्राई नहीं करते, मान जाओ !
12 January 2010 at 18:41
jet makhkhi hai
12 January 2010 at 18:41
dhanywaad lalit ji raam sabhi ko
12 January 2010 at 18:41
butterfly तो बिना आवाज उड़ती है....
गोदियाल जी कह रहे हैं कि इसके उड़ने में जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS आवाज होती है. :)
12 January 2010 at 18:42
अयोजकों को यहाँ कुर्सी वुर्सी का इन्तजाम करना चाहिए...खडे खडे टाँगे दुखने लगती हैं :)
12 January 2010 at 18:42
नमस्कार-अब मै यहां से प्रस्थान करता हुँ।
कल सुबह की पोस्ट मे संगीता जी और पंडित जी के लिए एक प्रश्न है। उसकी तैयारी करनी है।
12 January 2010 at 18:43
वत्स साहब कल से दरी लेकर आना :)
12 January 2010 at 18:43
क्या बात है ललित भाई..कोई परीक्षा लेने का इरादा है क्या:)
12 January 2010 at 18:43
दरी तो बिछी है, उसमें बैठिये न शाब!!
12 January 2010 at 18:43
ललित जी आप कितने बजे पोस्ट करेंगे कल ??
12 January 2010 at 18:44
अरे ललित जी कहाँ जा रहे हो एक हो जाए !
12 January 2010 at 18:44
उसमें भी इनाम है क्या ??
12 January 2010 at 18:44
कल पंडित जी और संगीता जी का एक्जाम है.. :)
12 January 2010 at 18:44
तितली है
12 January 2010 at 18:45
ललित साहेब!! मेरे लिए भी कोई प्रश्न है क्या??? मैं भी आऊँ?
12 January 2010 at 18:45
महाराज रात10 के बाद झलक दिखला देना,
दर्शन पाए बहुत दिन हो गए।
12 January 2010 at 18:45
आईये अंजना जी...नमस्कार.
किसी को तितली की आवाज निकालना आता है क्या??
12 January 2010 at 18:46
गौदियाल जी, हम क्या किसी नेता का भाषण सुनने थोडा आए हैं कि घर से दरी लेकर आएं..यहाँ तो आयोजकों की जिम्मेवारी बनती है :)
12 January 2010 at 18:46
संगीता जी इनाम उनाम भूल जाइए , ये भी तौ जी से सीख चुके एक HTML दे देंगे
12 January 2010 at 18:47
वो क्या बोलते है -हाँ रिसेशन वत्स साहब रिशेशन :)
12 January 2010 at 18:47
जरूर मिलेंगें ललित जी.....
12 January 2010 at 18:47
कल स्टूल लगवा देंगे रामप्यारी जी मैडेम से पूछ कर.
12 January 2010 at 18:48
कोई तितली की आवाज बता दो, प्लीज़!!!
12 January 2010 at 18:48
लगे हाथ एक हुक्के का इन्तजाम भी कर दीजिएगा :)
12 January 2010 at 18:49
घर से क्या खाली हाथ हिलाते आयेंगे???
12 January 2010 at 18:50
नमस्कार समीर जी
12 January 2010 at 18:50
हां, अब ठीक है समीर जी कुर्सी पर जचते नहीं !:)
12 January 2010 at 18:50
अन्जना जी
आपको तितली की आवाज आती है..जैसे मुझे टिड्डॆ की मालूम थी जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
12 January 2010 at 18:51
बाकि उपस्थित सभी सज्जनो को राम राम
12 January 2010 at 18:52
मुझे अपनी एक कविता में तितली की आवाज लिखना है...कोई तो मदद कर दो!!
12 January 2010 at 18:52
ये तो कोई मेहमाननवाजी न हुई :)
12 January 2010 at 18:53
खेलने आये हैं कि मेहमानबाजी करने पंडित जी???
12 January 2010 at 18:54
&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&& ये लीजिए, सुन लीजिए तितली की आवाज :)
12 January 2010 at 18:54
ये तो जी ततैये की मोसी भिरड़ है, भिड़ मत जाना कोई...खा गई तो सोच लेना क्या हाल होगा...:)
सबको राम राम नमस्कार हाय हल्लो...कैसे हैं सब लोग?
12 January 2010 at 18:54
संगीता जी-सुबह का शेड्युल 7 बजे वाला है।
गोदियाल साब हो जाए एक-एक
मै अभी आता हुँ। 15मिन्ट मे
12 January 2010 at 18:55
&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&
इसके शुरु में क्या है..स्टार्टिंग ट्रबल दिखता है...बाद का रो ठीक है जैसे जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
में स्टार्टिंग लेने के लिए जूँ है..वैसा??
12 January 2010 at 18:56
12 January 2010 at 18:56
अरे मर गये....सॉरी
सुनीता नमस्ते
12 January 2010 at 18:57
ठीक है ललित जी .. सुबह 7 बजे उठते ही ब्लॉगवाणी खोलकर बैठ जाउंगी !!
12 January 2010 at 18:57
क्रिकेट,हाकी,फुटबाल,वगैरह वगैरह कोई भी खेल ले लीजिए...आयोजकों द्वारा खिलाडियों की हर सुख सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाता है। यहाँ बैठने के लिए दरी भी घर से लाने को कहा जा रहा है :)
12 January 2010 at 18:57
सुनीता जी-घणा दिन पाछे दर्शन दिया, राम-राम
12 January 2010 at 18:59
इसके शुरू में साईलेंट वर्ड है :)
12 January 2010 at 18:59
तो वहाँ पर टिकिट भी तो खरीद कर खेला होता है...पुलिस लाईन स्टेडियम में तो जमीन पर ही बैठना पड़ता है... :)
12 January 2010 at 18:59
नमस्ते सभी आंटियों और अंकलों को.
12 January 2010 at 18:59
नमस्ते समीर भाई ललीत भाई राम-राम। जाड़ो बहुत घणो लागो तो मै तो रजाई सै निकळी ही कोनी भाया।
12 January 2010 at 19:00
ललित जी पेश ये खिदमत है ;
बिना दर्द के आंसू बहाए नही जाते ,
बिना प्यार के रिश्ते निभाए नही जाते !
ऐ दोस्त ! एक बात मेरी भी याद रखना,
बिना दिल दिए , दिल पाए नही जाते !!
12 January 2010 at 19:00
साइलेन्ट से स्टार्टिंग ट्रबल आ रही है कविता में..
12 January 2010 at 19:00
सभी नव आगंतुको को मेरा भी राम-राम
12 January 2010 at 19:02
पडिंत जी सच कह रहे हैं...बहुत सर्दी लगती है राम प्यारी को कुछ बंदोबस्त तो करना ही होगा। कम्बल ही बाँट दे कम से कम...पडिंतो को...:)
12 January 2010 at 19:02
कविता कुछ ऐसे शुरु होती है:
कुत्ता बोला
भूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
टिड्डा बोला
जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
तितली बोली
(अब यहाँ क्या माईक पर मैं चुप खड़ा हो जाऊँ कि साइलेन्ट है???? पंडित जी ने बताया है??? :))
12 January 2010 at 19:02
main jaraa chaay maarne ko gayaa tha
12 January 2010 at 19:03
तितली उडी
उडकर चली
फ़ूल ने कहा
आजा मेरे पास
तितली कहे
मैं चली आकाश.
12 January 2010 at 19:03
समीर भाई एक बात कहूँ तितली कुछ नही बोलती।...:) उसकी भावनाओं को समझ कर कविता लिखियें...
12 January 2010 at 19:03
कल से अलाव का प्रबंध रहेगा...बोतल अपनी अपनी लाओ...यहाँ से चखना भर मिलेगा. :)
12 January 2010 at 19:03
पाठक रचनाकार से कहीं अधिक समझदार होता है....इसलिए ऎसे ही लिख दीजिए..पाठक खुद ही समझ लेंगें :)
12 January 2010 at 19:04
अरे, जब गैंग में तितली है कविता में...तो बोलना तो पड़ेगा...उसके बिना श्रोता कैसे जानेगा कि उसने क्या बोला??
12 January 2010 at 19:05
लिखना होता तो चल जाता...मंच से बोलना है कविता...
12 January 2010 at 19:05
अच्छा भई सबको राम-राम हम चलते हैं। आप सब जलावो अलाव और सेंको हाथ...अलविदा...
12 January 2010 at 19:06
साहित्य सृजन में मुझे कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है...कोई ज्ञाता दोस्त नहीं...
12 January 2010 at 19:06
makrand aaj kal padhaai jyadaa chal rahi hai kya!
12 January 2010 at 19:06
मकरंद, तुम्हीं मदद कर दो...
12 January 2010 at 19:08
हेल्लो!!!
12 January 2010 at 19:08
सुनीता जी, माघ मास में किया गया कंबल दान कईं गुणा फलदायी होता है...आयोजकों को ऎसा अवसर चूकना नहीं चाहिए...बाकी सत्पात्रों की भी यहाँ कोई कमी नहीं है :)
12 January 2010 at 19:09
सब लोग किताबें पलटाने लगे क्या???
12 January 2010 at 19:09
कोई तो जानकार होगा इस भरी दुनिया में साहित्य का..मेरे अलावा!!
12 January 2010 at 19:10
सत्पात्रों
-कृपया इस शब्द का र्थ वाक्य में प्रयोग सहित समझायें.
12 January 2010 at 19:10
हम से तो कुछ लिखा ना जा रहा था तो जरा काफी पीने चले गये थे ।समीर जी कविता बनी या नही
12 January 2010 at 19:11
तितली अपनी चोंच ले कर आई|
फुलूं का रश गट्काई||
और उड़ गई!!! हा..हा,,
12 January 2010 at 19:11
समीर जी लिखिए ...
तितली बोली भनSSSSSSSSSS
12 January 2010 at 19:12
नहीं हो पाई अन्जना जी...
माईक पर बोलना है और पंडित जी ने जो आवाज बताई उसका पहला अक्षर साइलेन्ट है...वो कैसे बोलूँगा
12 January 2010 at 19:13
ये मैने मधुमख्खी के लिए पहले लिख लिया है
भनSSSSSSSSSS
12 January 2010 at 19:13
एक बार फिर से:
कविता कुछ ऐसे शुरु होती है:
कुत्ता बोला
भूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
टिड्डा बोला
जूँSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
तितली बोली
(अब यहाँ क्या माईक पर मैं चुप खड़ा हो जाऊँ कि साइलेन्ट है???? पंडित जी ने बताया है??? :))
12 January 2010 at 19:14
तितली की आवाज सुन कर ही मधुमख्खी को सीन में एन्टर करना है...
12 January 2010 at 19:15
तब भौंरा आयेगा...सब सिक्यूएन्स पहले से सेट है, उसे नहीं बिगाड़ सकते..
12 January 2010 at 19:15
तो लिखिए सनSSSSSSSSSSS
12 January 2010 at 19:16
तब साथ भी हवाएँ भी चलेंगी...सननसननsssssss
12 January 2010 at 19:17
क्या दो की आवाजें एक जैसी नहीं होती है ??
12 January 2010 at 19:17
मिक्स अप लगेगा...हवाओं की आवाज में यह आवाज खो जायेगी...इम्पैक्ट नहीं आ पायेगा..करेक्टर खोया सा लगेगा
12 January 2010 at 19:17
समीर जी को बधाई !!
12 January 2010 at 19:18
जबकि तितली को इम्पोर्टेन्स देना है सीन में..स्टोरी के आधार पर
12 January 2010 at 19:18
किस चीज की बधाई???
12 January 2010 at 19:18
इसके लिए
12 January 2010 at 19:19
ओह!! आभार...आपका स्नेह है!! बनाये रखें...हाँ तो वो तितली???
12 January 2010 at 19:20
मेन लीड रोल में है...उसकी आवाज दबाई नहीं जा सकती और हवा भी पैरेलल इम्पोर्टेन्स की रोल में है
12 January 2010 at 19:20
किस फेर में पड गयी मैं .. किसी बूढे बुजुर्ग से पूछकर बताती हूं !!
12 January 2010 at 19:21
हुउउउउ
12 January 2010 at 19:21
कोई मदद कर दो प्लीज!! संगीता जी से नहीं बन पा रहा!!
12 January 2010 at 19:21
हुउउउउ....श्रोताओं की आवाज???
12 January 2010 at 19:21
तगड़ी कविता हो गई,
पर आज ना जाने क्युं।
कविता करने को मुड नही बन रहा है
कविता गई है जब से।
12 January 2010 at 19:22
अमां ललित भाई...आप तो साहित्य के ज्ञाता हो..आप ही मदद कर दो...
12 January 2010 at 19:23
हमSSSSSSSSSS .. बूढे बुजुर्ग ने बताया है .. और मेरे ख्याल से लीड रोल में सही भी !!
12 January 2010 at 19:26
पूछिये जरा यह थोड़ा मेलिस्टिक लग रहा है..तितली फीमेल है...कुछ माइल्ड करेक्टर होता आवाज का तो.....
12 January 2010 at 19:26
आज के युग में माइल्डनेस .. भ्रम में हैं आप !!
12 January 2010 at 19:26
हल्की पतली लेकिन उठती हुई आवाज की तलाश में हूँ...
12 January 2010 at 19:27
कोकिल वाणी...
12 January 2010 at 19:27
कितना पेचिदा है साहित्य सृजन!!!
12 January 2010 at 19:28
हमSSSSSSSSSSSS को माइल्ड बनाया जा सकता है !!
12 January 2010 at 19:28
सोचता हूँ इस बातचीत को एक पोस्ट बना कर छाप दिया जाये???
12 January 2010 at 19:29
वो कैसे माइल्ड होगा....
12 January 2010 at 19:30
कल अखबार में विज्ञापन दे दें .. कोई साहित्यकार मदद कर देंगे !!
12 January 2010 at 19:30
उच्चारण साफ हो तो माइल्ड न हो पायेगा हमSSSSSS
हुन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न
शायद लिटिल माईल्डनेस दे..क्या सोचतीं हैं आप??
12 January 2010 at 19:31
न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न
में नेसल टच भी आ जायेगा....विमर्श के लिए रखा जाये इस साउन्ड को??
12 January 2010 at 19:31
हां सही है ये !!
12 January 2010 at 19:32
अरे वाह .. आपने तो हल कर ली समस्या !!
12 January 2010 at 19:33
आपके हमSSSSSSSSSS ने दिशा दी...लेकिन यह हमSSSSSSSSSSSSSSSS को भी किसी लीड रोल में स्थान जरुर दूँगा आपके क्रेडिट के साथ...अब जनता के लिए रखते हैं अप्रूवल को... :)
12 January 2010 at 19:34
समीर जीआप तो तितली की आवाज से मेल फीमेल मे फंस गये।मेल हो या फीमेल छोडो ।संगीता जी कितनी कोशिश कर लाई आवाज तितली की
12 January 2010 at 19:35
ओके .. पहेली हल हो गयी या नहीं .. डो झटका आए नहीं ??
12 January 2010 at 19:36
मुझे तो कहीं भी ये पिक्चर नहीं मिली .. पूरा छान मारा !!
12 January 2010 at 19:36
अन्जना जी, अब सिटल हो गया है...मेल फीमेल विमर्श भीषणता नहीं ले पाया उसके पहले ही..पहली बार हुआ ऐसा इतिहास में ब्लॉग के.
12 January 2010 at 19:37
डॉ झटका पता नहीं कहाँ ऑपरेशन में लगे हैं...
12 January 2010 at 19:37
बहुत ढूँढ़ी मगर यह फ़ोटू नहीं मिला, लगता है कि तितली है।
12 January 2010 at 19:38
यहाँ देखा तो पहले ही घमासान हुआ पड़ा है।
12 January 2010 at 19:38
शुक्र मनाईये कोई नारीवादी नहीं था/थी :)
12 January 2010 at 19:39
विमर्श चल रहा था बंधु..घमासान और विमर्श के बीच एक पतली सी रेखा होती है, उसे देखें..एकदम महीन!!!
12 January 2010 at 19:39
वही शुक्र मना रहा हूँ... :) हाथ जोड़े!!!
12 January 2010 at 19:40
हार स्वीकारते हुए अब विदा लेती हूं .. सबों को शुभ रात्रि !!
12 January 2010 at 19:41
शुभ रात्रि...स्वस्थ विमर्श के लिए आपका आभार संगीता जी!!
12 January 2010 at 19:56
HA..HAA AAG KI WYAWSTHAA KAR DI GAI HAI!!
12 January 2010 at 19:56
हमे लिंक मिल गया
12 January 2010 at 19:57
anjanaa ji kyaa hai teetali??
12 January 2010 at 19:58
जरुरी सूचना :-
इतन तेज ठंड को देखते हुये खिलाडियों के लिये अलाव की व्यवस्था कर दी गई है. जिनको ठंड लग रही हो वो पहेली स्थल पर पहुंच कर अलाव ताप लें. उसके बाद खेलना शुरु करें.
धन्यवाद!
12 January 2010 at 19:58
link chhapiye anjanaa ji!!
12 January 2010 at 19:59
तितली ही है
12 January 2010 at 19:59
ham taap aaye itani der wahin the ha..ha...ha..
12 January 2010 at 20:00
चलो फिर ठीक है आप सही हैं तब !!! लेकिन हमारा जवाब तो वही रहने देते है!!!
12 January 2010 at 20:03
चाय के कप के किस तरफ उसका हैंडल रहता है?? ispar kyaa kahnege ?
12 January 2010 at 20:03
मुरारी जी कही इतनी ठंड मे टिप्पणियो की सजा मिल गई तो मुशिकल होजायेगी ।हाथ ही नही चल रहे ठंड के मारे
12 January 2010 at 20:04
ये इकलोता सवाल ऐसा है जो अजीब भी है बिचारा गरीब भी !! हां.हां. हैदिल जिधर घुमा दो उधर ही रहता है !!
12 January 2010 at 20:05
अंजना जी मुख्या पोस्ट पर जा कर देखिये आग की व्यवस्था हो चुकी है!!!
12 January 2010 at 20:06
अंजना जी लगता है सब रजाइयों में दुबक गए !!!
12 January 2010 at 20:09
यहाँ पर हम तीन ही हैं एक मैं और एक आप और तीसरा अन्क्षश्त्री हिरामन वो लगा है लप टॉप पे धडा धड कुछ छापने !!! और आप भी अंजना जी पता नहीं हैं की चल बसी ..... ओह माय गोड ये क्या अनर्थ लिख दिया मेरा मतबल चली गयी!!!
12 January 2010 at 20:09
सारी आग तो समीर जी तापयने लगे है जरा बच कर हाथ न जल जाएं समीर जी :-)
12 January 2010 at 20:10
मेरी तो आदत है जी मजाक करने की बुरा मत मानिए सामने होली है !!!
12 January 2010 at 20:10
हाथ तापते हुए भी नजर रखे हूँ किनारे से
12 January 2010 at 20:10
कब है होली ( स्टाइल गब्बर)
12 January 2010 at 20:11
होली साल के शुरु से खेलने लग गये क्या मुरारी बाबू!!
12 January 2010 at 20:12
इस तरह ब्लॉग में आग लगाना सही नहीं है समीरजी!!!लोग तो हाथ सेंकते है! और इल्जाम ताऊ के सर आता है !!
12 January 2010 at 20:12
हा हा!! ताऊ इल्जाम झेल झेल कर इल्जाम प्रूफ हो गया है अब!!
12 January 2010 at 20:13
लो जी लोहडी से पहले होली आ ली वैसे ही ठंड से ठठुर रहे है .:-)
12 January 2010 at 20:13
भाई मैं तो गाँव जाने की तैयारी कर रहा हूँ इसलिए मुझे लगता है अभी कुछ ही दिन और हैं!!!
12 January 2010 at 20:14
तो इस बार तो जम कर होली होगी मुरारी बाबू की!!!
12 January 2010 at 20:14
अबकी साल सिक्किम में पिछले साल की तरह ठण्ड नहीं देखि गयी!! वरना क्या मजाल की अंगुलिया बहार निकाल ले कोई!!!
12 January 2010 at 20:15
अजी गाँव की होली मत पूछिए!! उस दिन तो कीचड़ भी चन्दन होता है !! मिलता ही नहीं है !! सारी नालिया साफ़!!!
12 January 2010 at 20:15
हम जब गंगटोक गौए मार्च में २००९ तो ऐसी बरफ गिरी की बाबा मंदिर ही नही जा पाये...लौटना पड़ा...
12 January 2010 at 20:16
और अभी जनवरी में भी ठण्ड न बर्फ !!
12 January 2010 at 20:16
मकरंद आजकल ठीक से नहीं खेल रहा है...
12 January 2010 at 20:17
समीरजी आप इंडिया कब तक आ रहे हैं!!!
12 January 2010 at 20:18
अभी पक्का नहीं हो पा रहा....बनाने में जुटा हूँ...
12 January 2010 at 20:18
मकरंद घर में बैठा शकरकंदी खा रहा होगा चूल्हे में सेक कर !!
12 January 2010 at 20:19
बहुत नटखट बच्चा है वो...राजस्थानी गाना गा कर नाचता है.
12 January 2010 at 20:19
आयेंगे तो पता तो चलना ही है हम सारे हिंदी ब्लोगिये आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं !!
12 January 2010 at 20:20
खबर पहले से रहेगी.. :)
12 January 2010 at 20:20
हा..हा.. घुमर गा गा कर !!!
12 January 2010 at 20:21
ये खबर नहीं होगी खबरेला होगा ! हा..हा..
12 January 2010 at 20:22
सब खिश्क लिए समीरजी अब मैं भी कुछ खाने पिने की व्यवस्था करता हूँ!!!
12 January 2010 at 20:23
कनेडियन भाषा में शुभ रात्रि को क्या कहते हैं
12 January 2010 at 20:24
सोते हैं की नहीं कनेडियन!!! हा..हा..
12 January 2010 at 20:25
हा हा..जब आप जागते हो तो केनेडियन सोते हैं
12 January 2010 at 20:25
गुड नाईट ही कहते हैं मगर २०० टिप्पणी होने पर
12 January 2010 at 20:26
शाम को ६ बजे डिनर कर लेते हैं सब यहाँ
12 January 2010 at 20:27
ha..ha.. ab to 200 hone hi waali hai
12 January 2010 at 20:27
कहाँ चले गये मुरारी बाबू जी
12 January 2010 at 20:28
good to ho gayaa night baaki hai
12 January 2010 at 20:28
बस, एक आप और करें तो मैं शतकीय शॉट लगाऊँ
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