बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं.
जैसा कि आप जानते हैं कि आज मैं आयोजक के बतौर यह अंक पेश कर रहा हूं. आज से दो सप्ताह तक मैं इस खेल का आयोजक रहुंगा.
आपका इस खेल को संचालित करने मे मुझे पुर्ण सहयोग मिलता आया है और उम्मीद करता हूं कि अब आने वाले दिनों में भी मिलता रहेगा. इस खेल मे आप लोगो के सहयोग से रोचकता बरकरार है. सभी इसका आनंद ले रहें हैं. आगे भी लेते रहें और अब रिजल्ट पेश करने के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" भी अमेरिका से पलट आये है. तो आईये अब आज का बहुत ही आसान सवाल आपको बताते हैं :-
नीचे का चित्र देखिये और बताईये कि ये क्या हो रहा है?

तो अब फ़टाफ़ट जवाब दिजिये. इसका जवाब कल शाम को 4:00 तक आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" देंगे. आज मैं और डाक्टर झटका खेल दौरान आपके साथ रहेंगे.
"बकरा बनाओ और बकरा मेकर बनो"
.टिप्पणियों मे लिंक देना कतई मना है..इससे फ़र्रुखाबादी खेल खराब हो जाता है. लिंक देने वाले पर कम से कम २१ टिप्पणियों का दंड है..अधिकतम की कोई सीमा नही है. इसलिये लिंक मत दिजिये.
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Promoted By :ram और shyamandthanks, aurएवम goodको
सहयोग के लिये आभार : श्री समीरलाल "समीर"
135 comments:
14 January 2010 at 18:04
हहहहह धरती फ़ोड़ने की तैयारी है...:) सबको राम-राम कैसे हैं सब लोग?
14 January 2010 at 18:09
सबको राम राम .. कल की मिठाई इतनी देर से आयी .. अभी तक पडी है .. आज बासी ही खानी पडेगी !!
14 January 2010 at 18:11
बीच व्हालीबाल
14 January 2010 at 18:11
सुनीता जी और संगि्ता जी
संक्राति पर्व की हार्दिक बधाई।
14 January 2010 at 18:12
मेरे साथ तो गजब हो गया?
मेरी कल की जीत चोरी हो गयी।
14 January 2010 at 18:13
ललित शर्मा जी सही कह रहे हैं .. ऐसा लगता है !!
14 January 2010 at 18:14
सभी को मकर संक्रांति की बधाई एवं शुभकामनाएँ. अलाव पर खूब मिठाई और चाय चली. मकरंद समोसे लाने वाला था...पता नहीं कहाँ चला गया.
14 January 2010 at 18:14
आप देख आईए मैने रिपोट दर्ज करवा दी है।
14 January 2010 at 18:14
कल की जीत...चोरी?? चौकीदार के रहते?? जरा डिटेल नोट कराना ललित भाई...
14 January 2010 at 18:15
यह बीच वॉलीबॉल का दृश्य ही है और शायद यह जापानी खिलाड़ी है नाम याद नही।
14 January 2010 at 18:15
समीर भाई राम-राम
हमारी कल की जीत चोरी हो गयी है।
कुछ न्याय करें।
14 January 2010 at 18:17
@समीर भाई-रामप्यारी और डाक्टर झटका- हमारी जीत आज हुई है और आपका फ़ैसला गलत है। इसके खिलाफ़ हम अपील दर्ज करते हैं।
1-आपका प्रश्न यह था(नीचे का चित्र देखिये और बताईये कि "ये क्या हो रहा है"?)
2- kase kahun?by kavita. said...
ghoda aur sher hai- ने यह जवाब दिया। घोडा और शेर है, "ये क्या हो रहा है?" इसका जवाब नही था। सिर्फ़ नाम बताए।
3- मेरा जवाब- ललित शर्मा said...
हा भाई जवाब ये है शेर घुड़सवारी कर रहा है।
4-रसियन सर्कस है।
अब फ़ैसला किजिए की आज का विजेता कौन है?
हमे यह फ़ैसला मजुर नही। कतई नही।
14 January 2010 at 18:18
हमने तो चौकीदारी करनी है...रिपोर्ट बना कर डॉक्टर झटका को दे रहा हूँ अभी के अभी..कुछ चाय पानी??
14 January 2010 at 18:19
सभी सगुणी और निर्गुणी जानो को मेरा राम- राम !
14 January 2010 at 18:19
लगता है रेत में गिर गई है और आगे जमीन खत्म हो गई है।
14 January 2010 at 18:19
कुछ नहीं हो रहा डाक्टर साहब , गोवा बीच पर लेटी थी, उसे बिच्छु दिख गया :)
14 January 2010 at 18:19
सुनीता जी को राम-राम
14 January 2010 at 18:19
सुनीता जी-यो जापानी खिलाड़ी कोनी।
14 January 2010 at 18:20
Sangeeta जी को राम-राम
14 January 2010 at 18:20
lalit जी को राम-राम
14 January 2010 at 18:20
हा हा...गोदियाल जी और विवेक भाई को प्रणाम!!
14 January 2010 at 18:20
sameer जी को राम-राम
14 January 2010 at 18:20
vivek जी को राम-राम
14 January 2010 at 18:21
कहीं चोट न आ गई हो बेचारी को, मुझे तो वो ही चिन्ता खाये जा रही है...
14 January 2010 at 18:21
गोदियाल जी और विवेक जी राम-राम
एक - एक हो जाए, बहुत ठंड है।:)
14 January 2010 at 18:23
इसका नाम है धरती फ़ोड़ू और यह २००८ में बीजिंग मे हो रहे ओलम्पिक का फ़ुटवा है
14 January 2010 at 18:24
सबको राम राम मै जरा घूम कर आती हूँ।
14 January 2010 at 18:24
ललित भाई
डॉ झटका से किनारे ले जाकर बात की है. वो इसके बदले में सबको समोसे खिलाने को तैयार हैं...
खा लेने दो भाई सबको समोसे..आप तो फिर जीत ही जाओगे..डॉ तो रोज समोसे खिलाने से रहा...
मकरंद को दौड़ाया है उन्होंने गरम गरम समोसे लाने के लिए...चल जायेगा क्या??
14 January 2010 at 18:25
मैने आपकी तरफ से हाँ कर दी है. :)
14 January 2010 at 18:26
समीर जी और गोदियाल सहित सबको प्रणाम ।
14 January 2010 at 18:26
बस, समोसे आते ही होंगे सब के लिए...बहुत मजा आयेगा...रामभरोसे के गरमागरम...वाह!!!!
14 January 2010 at 18:27
कोई समोसे का नाम मत लो हमारा पेट खराब हो रहा है।
14 January 2010 at 18:27
सुनीता जी रुकिये..ललित भाई के नाम से समोसे आ रहे हैं...खा कर जाना!!
14 January 2010 at 18:28
पर अगर रामभरोसे की दुकान के हैं तो खा ही लेंगे।
14 January 2010 at 18:29
समीर भाई-मुझे जीत हार से कोई लेना देना नही है। अब बताओ तीन दिन पहले भी मै जीता था। और उसका उसका पता तीन पहेली निकलने के बाद पता चला, तब मैने ढुढ कर अपने आप को बधाई दी।
लेकिन डाक्टर झटका गलती स्वीकार करे।
समोसे से काम नही चलेगा।
14 January 2010 at 18:29
पेश-ए-खिदमत है ललित जी, ढूंढ के लाया हूँ ;
जिसकी याद भुलाने को सिगरेट जलाई थी ,
कमबख्त धुवे ने उसीकी तस्बीर बना डाली
14 January 2010 at 18:29
वैसे भी आज तो हमारी खिचड़ी खाने की इच्छा है।
14 January 2010 at 18:30
अरे ललित भाई इधर ऐसा भी होता है क्या ?
14 January 2010 at 18:30
ललित जी के साथ बार बार नाइंसाफी क्यूं हो रही है ??
14 January 2010 at 18:30
और भी कुछ ।:)
14 January 2010 at 18:31
ये तो बीच वॉलीबाल ही लग रही है
14 January 2010 at 18:31
किसी ग्रह का चक्कर तो नहीं ललित जी ??
14 January 2010 at 18:31
एक और थामिए ;
शाम होते ही मैं तो चिरागों को बुझा देता हूँ
ये दिल ही काफी नहीं है क्या तेरी याद में जलने को ?
14 January 2010 at 18:31
beach whalliwal
14 January 2010 at 18:32
जिसकी याद भुलाने को सिगरेट जलाई थी ,
कमबख्त धुवे ने उसीकी तस्बीर बना डाली
वाह वाह!!
14 January 2010 at 18:33
अब पहले समोसे तो खा ही लो...मकरंद सईकिल लेकर निकल गया है.
बाकी फिर उसी से आंदोलन करवाते हैं.
14 January 2010 at 18:34
गो्दियाल साब-नोश फ़रमाएं-एक्दम हाट है।
जो लकडियां मैने सर्दी के लिए सके्ली थी
ऐसे यार मिले हैं उनसे मेरी चिता सजा दी
14 January 2010 at 18:34
शानदार गौदियाल जी!!
14 January 2010 at 18:34
हम भी एक शेर अर्ज करते हैं १ मिनिट ठहरिये...
14 January 2010 at 18:35
विवेक जी मैं ठहर रखा हूँ आप लाइए
14 January 2010 at 18:36
धोखा मिला जब प्यार में,
जिंदगी में उदासी छा गई,
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सोचा था दुनिया छोड़ देंगे लेकिन...
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कमबख्त मौहल्ले में दूसरी आ गई।
14 January 2010 at 18:36
सभी फ्रेंडो को और फ्रेडानियों को नमस्कार मकड़ स्कारान्ति की शुभेच्छा !!! ये है तो बिच में बाली बाल ही !!!
14 January 2010 at 18:37
waah waah kyaa sher ko maraa hai !! vivekji!!
14 January 2010 at 18:37
कमबख्त मौहल्ले में दूसरी आ गई।...चलो, दिल को बहलाने के लिए...गालिब ये इन्तजाम अच्छा है. :)
14 January 2010 at 18:38
धन्यवाद मुरारी जी बहुत बहुत धन्यवाद
14 January 2010 at 18:38
जी हाँ, दिल को बहलाने के लिये...
अभी पतंग ही उड़ा कर आ रहे हैं...
14 January 2010 at 18:39
waah-waah vivik jee kyaa kahne !
14 January 2010 at 18:39
एक और लिजिए-आज फ़िर निकल-निकल के गिर रहे हैं।
शाम होते ही तेरी यादों के चिराग जला लेता हुँ
इस मंहगाई मे बिजली का बिल बचा लेता हुँ।
14 January 2010 at 18:39
और अब चाय पी रहे हैं साथ में उज्जैन की नमकीन खा रहे हैं :)
14 January 2010 at 18:39
याद करते है तुम्हे तन्हाई में ,
दिल डूबा है गमो कि गहराई में ,
हमे मत ढूँढना दुनिया कि भीड़ में ,
हम मिल्लेंगे तुम्हे तुम्हारी परछाई में
आज के लिए बाय-बाय !
14 January 2010 at 18:41
वाह ललित जी वाह
यादों के चिराग जला लेता हूँ वाह वाह
14 January 2010 at 18:42
हमारी परछाई में ???
चलो बाय बाय गोदियाल जी
14 January 2010 at 18:42
waah lalitji j g-o
14 January 2010 at 18:42
सोच समझ के ना की शादी जिसने ,
उसने जीवन बिगाड़ लिया,
और चतुराई से जिसने की शादी,
उसने भी क्या उखाड़ लिया
14 January 2010 at 18:43
bye godiyaalji !! chle gaye kya!!!
14 January 2010 at 18:43
शानदार दर शानदार!!
14 January 2010 at 18:44
वाह मुरारी जी वाह बिल्कुल सही
14 January 2010 at 18:44
दादा खाज खुजली खारिस चाहूँगा!!!
14 January 2010 at 18:44
वैसे यह महिला अमेरिका की खिलाड़ी है।
14 January 2010 at 18:44
समुंदरी vollyball में गिरी पड़ी बाला को देख-देख
सभी आयोजक आग ताप-ताप हंस रहे हैं.
ये तो बहुत बुरी बात है जी !..कोई जा उठाता क्यों नहीं ?
14 January 2010 at 18:45
ललित जी को बधाई यह Beach volleyball खेल है
सभी को नमस्कार
14 January 2010 at 18:46
आ जाओ देवेन्द्र जी
14 January 2010 at 18:48
वो आँख बड़ी प्यारी थी,
जो हमने उसे मरी थी,
वो संदले बड़ी भारी थी,
जो उसने हमे मरी थी,
मुफ्त में ही पिट गए यार,
हमें तो आँख की बीमारी थी.
14 January 2010 at 18:48
हाय मैं आज फिर देर से आया ...सभी को मकरसंक्रांति की ढेर सारी बधाई. राम-राम .
14 January 2010 at 18:49
मुरारी जी जल्दी से अपनी आँखें ठीक करवाईये।
14 January 2010 at 18:49
मुरारी जी, देवेंद्र जी, एम वर्मा जी, को राम-राम
हमारी कल की जीत चोरी हो गयी है। कोई भी न्याय का पक्ष नही ले रहा है?
चलो भाई कल तुम्हारे यहां होगी तब हम भी, यही करेंगे।
14 January 2010 at 18:50
टीचर : बताओ राजू "तमसो माँ ज्योतिर्गमय" का क्या मतलब होता है !
राजू: तुम सो जाओ माँ मैं ज्योति के घर जा के आता हूँ!!!
14 January 2010 at 18:51
आन्दोलन कर देते है ललित जी चक्का जाम!!!
14 January 2010 at 18:51
ललित भाई...बस मकरंद आ ही रहा होगा, :)
14 January 2010 at 18:52
विवेक जी आँखों पर काम चल रहा है! कमबख्त पिटते पिटते फिर बिगड़ जाती हैं !!!
14 January 2010 at 18:52
ज्योति के घर से आ भी गये आन्दोलन करने...हा हा!!
14 January 2010 at 18:52
समोसे लग चुके हैं टेबल पर....मकरंद आ गये हैं.
14 January 2010 at 18:52
jyoti ghar pe nahi thi:)
14 January 2010 at 18:53
Delhi says Save Petrol
Mumbai says Save Water
Kashmir says Save Us
AP says Save Telangana
But
MP says Sev poha.. Sev kachori.. Sev Samosa..
14 January 2010 at 18:53
ये मकरंद है कहाँ!!!
14 January 2010 at 18:53
कुछ लोग तो आन्दोलन का नाम सुन कर ही................
लेकिन आन्दोलन करना ही पडेगा।
रामप्यारी............
डाक्टर झटका.........
14 January 2010 at 18:53
haa.haa. save poha!! vivek ji nice one!!
14 January 2010 at 18:54
एम पी खाने पीने में ही रहा जायेगा सेव पोहा...सोनकच्छ में खड़े. :)
14 January 2010 at 18:54
सूचना :-
समोसे टेबल पर लग चुके हैं. पधारिये. ललित जी को दो प्लेट खानी पडेगी.
धन्यवाद
14 January 2010 at 18:54
मकरंद समोसे लेने गया था साईकिल से
14 January 2010 at 18:54
आए हाय
14 January 2010 at 18:55
अच्छा जोक है मुरारी जी
माँ कहती है-
जा बेटा, जाते-जाते ज्योति बुझा देना.
14 January 2010 at 18:55
ललितजी को लाल पाल किया जा रहा है !! हा..हा..हा..
14 January 2010 at 18:55
waah samoson ke sath hari mirch!!
14 January 2010 at 18:55
क्या करें बिना सेव के तो खाना हजम ही नहीं होता।
14 January 2010 at 18:55
आंटीयों और अंकलो नमस्ते. मैं तो वहां बैठकर समोसे खारहा था. आप लोग भी खींच लो चल कर. फ़िर ठंडे होजायेंगे.
14 January 2010 at 18:56
Devendraji jitne muh utane meaning hain!!! ha..ha..
14 January 2010 at 18:56
ललित जी संघर्ष करो
14 January 2010 at 18:57
आ गए मकरंद कहाँ गयाब रहते हो भाई!!!
14 January 2010 at 18:57
मकरंद, ललित अंकल याद कर रहे हैं आंदोलनकारी चाहिये उन्हें
14 January 2010 at 18:57
हम आपके साथ हैं।
14 January 2010 at 18:58
आन्दोलन के लियी तुम्हे याद किया जा रहा था मकरंद पर अब! लगता है ललित जी को समोसों का लालच आ गया!! हा..हा..
14 January 2010 at 18:58
अरे खींच लो मतलब चटनी तो दो भई
14 January 2010 at 18:59
अब तो सचमुच खाने जाना पडेगा!!! मुह में पानी आ गया!!!
14 January 2010 at 18:59
आज पंडित वत्स जी नहीं आये??
14 January 2010 at 18:59
क्या होगया ललित अंकल? कुछ मदद करुं क्या?
14 January 2010 at 19:00
पंडित जी कहीं पूजा पाठ करवा कर माल खिंच रहें हैं!!!
14 January 2010 at 19:01
आज संक्राति भी है...
14 January 2010 at 19:01
बगावत करनी है मकरंद ललित जी का कहना है की उनके साथ कुछ गड़बड़ झाला हुआ है !!!
14 January 2010 at 19:01
हमारी आज भुख हड़ताल है
ना समोसे ना चटनी ना मिठाई
बस हमने यलगार हो की आवाज उठाई
14 January 2010 at 19:02
ललित भाई...आप संघर्ष करो...हम आपके साथ है....जिन्दाबाद जिन्दाबाद!!
14 January 2010 at 19:03
न समोसे का, न चटनी का हिसाब चाहिये...
हमको तो बस अपने लिए इन्साफ चाहिये....
ललित भाई, जिन्दाबाद!!
14 January 2010 at 19:04
कई सालों से अपने गाँव आये सेठ सेठानियों ने देखा एक गोबर के इरंड के पेड़ पर गग्ग्हू बैठा था ! अब सेठ सेठानी दोनों को इन दोंनो चीजों का नाम ही पता नहीं !
सेठानी बोली:एजी ये क्या पर क्या बैठा है!
सेठ बोला: ऐसे पे ऐसा ही बैठता है !!!
14 January 2010 at 19:04
आज मैं डाक्टर झटका के खिलाफ़ नारे नही लाऊंगा.ग
14 January 2010 at 19:04
ललित जी संघर्ष करो ... हम आपके साथ हैं
Ctrl C
Ctrl V
14 January 2010 at 19:04
हा हा!!
14 January 2010 at 19:05
मकरंद पलट गया ललित भाई......
14 January 2010 at 19:05
ctrl+c
ctrl+v
ho gayaa ha..ha.. vivek ji kaa anusaran
14 January 2010 at 19:06
मकरंद उधर मिल गया जाकर.....
14 January 2010 at 19:06
मकरंद समोसों में जादू की भभूत थी वसीकरण रस था !! इसीलिए ललित जी को दो खाने के लिए बोला गया था!! हां.हां.
14 January 2010 at 19:07
आज डाक्टर ने मुझे समोसे लाने के लिये २ नोट पांच सौ के दिये. बाकी के बोला तू रख लेना. ६४० के समोसे और चटनी लाया, बाकी अपनी जेब मे. तो आज अपना कोई इरादा नही है हडताल का.
14 January 2010 at 19:08
लग तो ऐसे रहा है कि हम ही लोग आंदोलन कर रहे हैं और ललित भाई भी उधर ही हो लिए हैं..दिख नहीं रहे...
14 January 2010 at 19:08
ललित अंकल आज त्योंहार के दिन रुसते नही हैं. पहले मिठाई और समोसे खींच लो फ़िर आंदोलन करेंगे.
14 January 2010 at 19:08
अब तो एक ही रास्ता है ललितजी १००० -१००० के दो नोट देकर कुछ सामान मंगवाइये और बची पैसे रखने के लिए कहिये मकरंद को!!
14 January 2010 at 19:08
हम भी आंदोलन वापस लेते हैं.
14 January 2010 at 19:09
मकरंद भी पलट रहा है।
धीरज धर्म मीत अरु नारी
आपत काल बिचारिये चारी
14 January 2010 at 19:09
हा हा बालक बहुत चतुर है
14 January 2010 at 19:11
आन्दोलन जारी रहेगा
मै जरा आंसु पोंछने चला गया था।:(
14 January 2010 at 19:11
:(:(:(:(:(
14 January 2010 at 19:13
बढ़े चलो बढ़े चलो
14 January 2010 at 19:16
मकरंद- आन्दोलन मे साथ दोगे तो कुछ मिलेगा,
नही तो मुस्किल है। तुम्हारे लिए चाकलेट बडी वाली।
चलो एक बार नारा लगाओ।
राम प्यारी-.........
डाकटर झटका-.....
14 January 2010 at 19:18
मुर्दाबाद ..मुर्दाबाद
14 January 2010 at 19:27
मैं सच्ची में समोसे खा के आया हूँ!!!
14 January 2010 at 19:29
ललित जी जाने दीजिये आन्दोलन को वैसे जवाब में यह पूछा गया था की था की ये क्या है !!! घोडा और शेर दोनों आ गए न!!
14 January 2010 at 21:59
क्या कोई ज्ञानी बता सकता है कि चिट्ठाचर्चा पर की इस टिप्पणी में ऐसा क्या था जो इसे रोक रखा गया है?
http://murakhkagyan.blogspot.com/2010/01/blog-post.html
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