बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका आयोजक के बतौर हार्दिक स्वागत करता हूं.
आपका इस खेल को संचालित करने मे मुझे पुर्ण सहयोग मिलता आया है और उम्मीद करता हूं कि अब आने वाले दिनों में भी मिलता रहेगा. और मुझे आपका सहयोग लगेगा ही, क्योंकि मेरी सजा पूरी होने के पहले ही आप लोग मुझे नई सजा दिलवा देते हैं. लगता है अब मुझे आयोजक की भूमिका मे ही आप लोग ज्यादा पसंद करते हैं. जैसी आपकी इच्छा.
इस खेल मे आप लोगो के सहयोग से रोचकता बरकरार है. सभी इसका आनंद ले रहें हैं. आगे भी लेते रहें. तो आईये अब आज का बहुत ही आसान सवाल आपको बताते हैं :-
नीचे का चित्र देखिये, इस चित्र मे ताऊ की बकरियां रामकटोरी और श्यामकटोरी डांस कर रही हैं और पीछे से दो जानवर इनका डांस छुप कर देख रहे हैं. बताईये कि वो दोनों कौन हैं? जो छुपकर रामकटोरी और श्यामकटोरी का डांस देख रहे हैं?

तो अब फ़टाफ़ट जवाब दिजिये. इसका जवाब कल शाम को 4:00 तक आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" देंगे. आज मैं और डाक्टर झटका खेल दौरान आपके साथ रहेंगे.
"बकरा बनाओ और बकरा मेकर बनो"
टिप्पणियों मे लिंक देना कतई मना है..इससे फ़र्रुखाबादी खेल खराब हो जाता है. लिंक देने वाले पर कम से कम २१ टिप्पणियों का दंड है..अधिकतम की कोई सीमा नही है. इसलिये लिंक मत दिजिये.
70 comments:
18 January 2010 at 18:03
kutaa aur khargosh lag rahe hai!
18 January 2010 at 18:05
gadha aur suar (pig)
18 January 2010 at 18:05
रेखा आंटी नमस्ते
18 January 2010 at 18:06
kase kahun?by kavita. आंटी नमस्ते
18 January 2010 at 18:14
गधा है। और बदजिनावर है।
रेखा जी,
कविता जी नमस्कार
मकरंद- शुभाशीष
18 January 2010 at 18:14
सब को राम राम!
ये कविता जी गधा और सुअर किस को कह रही हैं?
18 January 2010 at 18:15
कैसे हो मकरंद,
कल नही आए?
18 January 2010 at 18:15
वकील साहब-खम्मा घणै दाता
18 January 2010 at 18:21
उपस्थित सभी सज्जनों को और देवियों को नमस्कार और मकरंदा को आशीष!
18 January 2010 at 18:23
बकरी और खरगोश लग रहे हैं
18 January 2010 at 18:23
सबको राम-राम इसमें एक खरगोश और एक बकरी लगती है।
18 January 2010 at 18:23
ललित भाई को नमस्कार और सभी लोगों को नमस्कार
18 January 2010 at 18:24
सबको अपनी राम राम
18 January 2010 at 18:24
रेखा जी क्या हाल चाल है? और कविता जी अभी कितनी देर तक हैं यहाँ...:) अरे मकरंद बेटा क्या हाल है क्या कर रहे हो आजकल?
18 January 2010 at 18:24
पण आज उड़नतश्तरी वाले नहीं दिखाई दे रहे हैं।
18 January 2010 at 18:25
ललित भाई राम-राम।
18 January 2010 at 18:26
सुनिता जी नमस्कार
18 January 2010 at 18:28
नमस्कार विवेक जी। कहिये कैसे हैं?
18 January 2010 at 18:28
कुत्ता-बिल्ली लगते है.
18 January 2010 at 18:28
अरे सब किधर गये ?
18 January 2010 at 18:28
सुनीता जी राम राम
कांई हाल चाल सै?
18 January 2010 at 18:29
विवेक जी राम राम
18 January 2010 at 18:29
हम दोनो का जवाब एक सा और एक ही समय पर है...:)
18 January 2010 at 18:29
बढ़िया हैं, बहुत दिनों बाद मौका लगा है यह खेल में आने का।
संजय भाई घणी राम राम
18 January 2010 at 18:30
संजय भाई हमेशा १-२ नंबर से रह जाते हो :)
18 January 2010 at 18:30
सभी आंटियों और अंकलो को नमस्कार. आज मैं ट्युशन की तडी मार कर आगया हूं.
18 January 2010 at 18:30
सुनीता जी-पधारो- गरम-गरम सीरा को आनंद ल्यो?
थारी भौजाई को न्युतो है।
18 January 2010 at 18:31
अरे आज कुछ खाने वाने का प्रोग्राम नहीं है क्या, भूख लग रही है।
18 January 2010 at 18:31
ललित अंकल नाम्स्ते
18 January 2010 at 18:32
अरे मकरंद तुमने ट्यूशन की तड़ी मारी और हमने ऑफ़िस से :)
18 January 2010 at 18:32
cat and goat
18 January 2010 at 18:35
वो क्या हुआ आज मम्मी बाहर गई है तो मैने तडी लगा दी.
18 January 2010 at 18:36
बहुत बढ़िया अपन ने भी खूब तड़ी मारी है स्कूल के दिनों में.... वही दिन याद आ गये
18 January 2010 at 18:36
ललित अंकल सीरो मन्नै बी खिलाओ ना? आऊं काईं?
18 January 2010 at 18:36
सीरा सुसवां को जमानो लदग्यों ललित जी क्याँले भुलाओ हो म्हानै म्हारी भोजाई तो गूँद का लाडू देसी थे बस बणकी बाताँ मै हाँ मिलाया करो...:)
18 January 2010 at 18:36
ललित भाई सीरा बहुत बढ़िया
18 January 2010 at 18:38
sabhi gunijano ko namaste .dwediji maaf karna "to the point" question ka answer dene ki aadat hai isliye aisa likh diya.
18 January 2010 at 18:38
सुनीता आंटी ये सीरो के होवै है?
18 January 2010 at 18:39
सीरा को सिल दो तो सीरो हो जाता है।
18 January 2010 at 18:39
laitji seera sirf sunitaji ko khilayenge?
18 January 2010 at 18:40
sunitaji,sham ko ghumane ka samay 6:05 ka kar diya hai.bas ab aa gayee.
18 January 2010 at 18:41
ललित बच्चा कैसे हो? अभी तक स्नान करने नही आये बालक?
18 January 2010 at 18:41
मकरंद बेटा जो लोग कंजूस होते हैं न वो लोग हलवे की जगह सीरा बनाते हैं...समझे!
18 January 2010 at 18:42
विवेक बच्चा कैसे हो?
18 January 2010 at 18:42
कविता जी आपकी तो मेरे साथ हिस्सेदारी है न...फ़िक्र न करें यहाँ सब आपको खिला कर भी मुझे खिलाया ही मानेंगे..
18 January 2010 at 18:43
आंटी हलुआ तो मेरी मम्मी बनाती है सूजी का. क्या सीरा भी वैसा ही होता है?
18 January 2010 at 18:44
सुनिता आंटी..और कविता आंटी ...एक दुसरे को कैसे खिलाकर मान जायेगा? बालक को कुछ समझाईये.
18 January 2010 at 18:44
बाबा अच्छा हूँ, दंडवत प्रणाम
18 January 2010 at 18:44
बाबाजी-धोक दयुं।
18 January 2010 at 18:46
dhanyavaad sunitaji,dil khush kar diya aapane.
18 January 2010 at 18:47
तुम नही समझोगे मकरंद समझाकर कोई फ़ायदा न होगा। अस्तु...ललित जी यह किसे धोक दे रहे हो...क्या यहाँ भी कोई मठ बन गया है?
18 January 2010 at 18:47
लालित बच्चा, फ़ूफ़ा लोगों के हाल चाल हैं? भतिजा बहुत उछलकूद मचा रिया है? अलख निरंजन..
18 January 2010 at 18:51
ठीक है सुनिता आंटी, आप कह रही हैं तो अच्छे बच्चे की तरह मैं लापसी खाकर ही काम चला लुंगा.
18 January 2010 at 18:53
मकरंद-भाई सबका न्युता है। सीरा की बात ये थी कि आज कल लोगों को डायाबिटिज ज्यादा हो गयी है। और दो गोंद का लाडु खाते ही उपर्।
इसलिए फ़िका सीरा से ही काम चला रहे हैं
आपके लिए खांड का अलग से ईंतजाम है।
18 January 2010 at 18:54
सुनीता जी-करे करावे आप है-पलटु पलटु शोर
18 January 2010 at 18:54
हाँ यह सही रहेगा वैसे आज चीनी की कीमतो में गिरावट आई है। तुम गुड़ की लापसी क्यों खाना चाहते हो? ललित अंकल से कह कर हलवा ही बनवाओ बेटा।
18 January 2010 at 18:56
हां जी-साला को बेटो सै महाराज, भुवा का घर मे उछल कुद को मौको मिल ही जाया करे।:)
18 January 2010 at 18:56
lalitji shakkar ke bhav dejhate hue to log aajkal dibeties hone par badhaiyan dene lage hai.
18 January 2010 at 18:59
सु्निता जी-हलवा, सीरा और लापसी मै कोई घणो फ़रक कोनी, मटेरियल उतणो ही लागे सै। हां घी थोड़ो फ़ालतु मिल जाएगो म्हारे, दो झोटड़ी बांध राखी सीं। थ्हे जो कहो बणवा दयांगा।
आज मुरारी जी कोनी आयो मेरो मटो।
18 January 2010 at 18:59
मुरारी जी गायब हैं ?
18 January 2010 at 19:00
बच्चा ललित भतिजे को समझावो कि फ़ुफ़ों की लाईन मे गया तो फ़ूफ़ो जैसी हालत हो सकती है. और हम क्रुद्ध हो सकते हैं...अलख निरंजन...
18 January 2010 at 19:01
ललित अंकल मैं आपके पास आरहा हूं जो बनवा दोगे वही खा लूंगा. आज मेरी मम्मी नही है सो खाना भी वहीं आपके साथ खा लुंगा.
18 January 2010 at 19:03
आदेश महाराज्।
अभी बहन जी ने बुलाया है।
बहुत जल्दी पहुंच रहा हुँ।
18 January 2010 at 19:03
स्वागत है मकरंद
18 January 2010 at 19:04
ललित अंकल, मैं आरहा हूं डिन्नर करने आपके यहा. मुझे बटर पनीर मसाला और तंदूरी पराठा ज्यादा अच्छे लगते हैं और बाद मे स्वीट डिश में ब्लेक चाकलेट चल जायेगी.
18 January 2010 at 19:05
सुनीता जी-थ्हे कठे गया।
आज तो्से नैना लागे कोनी आई।:)
18 January 2010 at 19:05
चलो भई म्हे तो चालाँ सब न राम-राम। ललित जी धन्यवाद हलवै के लिये।
18 January 2010 at 19:18
चलो हम भी चले राम राम
18 January 2010 at 19:32
सभी मित्रों को मेरा प्रणाम. तबीयत की नासाजी की नाइंसाफी है, मेरी नहीं, जो आज आ नहीं पाया.
19 January 2010 at 10:04
khargosh lag rahe hai
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