खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (180) : आयोजक उडनतश्तरी

बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका आयोजक के बतौर हार्दिक स्वागत करता हूं.

आपका इस खेल को संचालित करने मे मुझे पुर्ण सहयोग मिलता आया है और उम्मीद करता हूं कि अब आने वाले दिनों में भी मिलता रहेगा. और मुझे आपका सहयोग लगेगा ही, क्योंकि मेरी सजा पूरी होने के पहले ही आप लोग मुझे नई सजा दिलवा देते हैं. लगता है अब मुझे आयोजक की भूमिका मे ही आप लोग ज्यादा पसंद करते हैं. जैसी आपकी इच्छा.

इस खेल मे आप लोगो के सहयोग से रोचकता बरकरार है. सभी इसका आनंद ले रहें हैं. आगे भी लेते रहें. तो आईये अब आज का बहुत ही आसान सवाल आपको बताते हैं :-

नीचे का चित्र देखिये और बताईये कि ये किसका हाथ है? नाम बताईये!



तो अब फ़टाफ़ट जवाब दिजिये. इसका जवाब कल शाम को 4:00 तक आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" देंगे. आज मैं और डाक्टर झटका खेल दौरान आपके साथ रहेंगे.

"बकरा बनाओ और बकरा मेकर बनो"

टिप्पणियों मे लिंक देना कतई मना है..इससे फ़र्रुखाबादी खेल खराब हो जाता है. लिंक देने वाले पर कम से कम २१ टिप्पणियों का दंड है..अधिकतम की कोई सीमा नही है. इसलिये लिंक मत दिजिये.


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Promoted By : ताऊ और भतीजाएवम कोटिश:धन्यवाद

46 comments:

  Pt. D.K. Sharma "Vatsa"

23 January 2010 at 18:02

tendulkar

  Anonymous

23 January 2010 at 18:12

Ganguly?

  Anonymous

23 January 2010 at 18:14

ye to kisi baller ka haath hona chahiye jisne wicket liya ho to mere khyal se jawaab:: Anil kumble

  दिनेशराय द्विवेदी

23 January 2010 at 18:16

राम! राम!
भज्जी का लगता है।

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 18:19

जरा सा लेट हुए हैं...कोई खास बात नहीं.....तन्ख्वाह देर से मिलती है, तब कुछ नहीं..हमें जरा सी देर हो जाये तो सब आसमान सर पर उठा लेते है/...




चलो, फिर भी शराफत देखो कि नमस्ते कर रहा हूँ सबको!!

  Anonymous

23 January 2010 at 18:22

सबको राम राम!

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 18:25

मुझे तो कोई फुटबाल प्लेयर लगता है.

  M VERMA

23 January 2010 at 18:36

kumble

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 18:38

एक बहुत पहले खेलता था वो ही होगा..

  M VERMA

23 January 2010 at 18:38

नमस्कार सभी को

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 18:49

प्रणाम एवं नमन!!

  Mithilesh dubey

23 January 2010 at 19:04

ये अनिल कुंबले है ।

  Mithilesh dubey

23 January 2010 at 19:04

ये हाथ अनिल कुंबले का है ।

  Murari Pareek

23 January 2010 at 19:06

sri santh

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 19:09

जय हो..बहुत कठिन पहेली है. रणजी ट्राफी का मैच रहा होगा.

  Pt. D.K. Sharma "Vatsa"

23 January 2010 at 19:17

दरबान का काम होता है आते जाते लोगों पर निगाह रखना होता है..न कि पब्लिक को गुमराह करना :)

  Pt. D.K. Sharma "Vatsa"

23 January 2010 at 19:18

फुटबाल में रणजी ट्राफी कब से होने लगी :)

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 19:23

नमस्कार साहेब पंडित जी..नजर भी रखता हूँ शाब,,और चाय बीड़ी के चक्कर में मदद भी करता हूँ शाब!!


सेलरी से इतनी मंहगाई में कैसे काम चलेगा शाब..एक तो समय पर मिलती नहीं पगार और वो भी जरा सी..

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 19:29

पगार और मंहगाई की बात सुन कर पंडित जी पूरे भारत की आवाज क्यूँ गोल हो जाती है...गरीब की कोई सुनो भई!!!


डांटने तो तुरंत आये थे...:)

  अंजना

23 January 2010 at 19:32

सभी को राम राम ।

  अंजना

23 January 2010 at 19:36

ये क्या पहले मुख मे उलझे ,अब हाथ के चक्कर मे उलझे :-)

  अंजना

23 January 2010 at 19:40

जवाब:- हरभजन है

  अंजना

23 January 2010 at 19:44

आज कोई हि़ट मिलेगा ?

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 19:50

हिन्ट:


प्लेयर है.

  अंजना

23 January 2010 at 20:03

समीर जी राम राम

  दिनेशराय द्विवेदी

23 January 2010 at 20:19

लॉक करो जी, कुंबले ही है जी।

  अंजना

23 January 2010 at 20:23

ये हाथ ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का ही है।

  अंजना

23 January 2010 at 20:27

द्विवेदी जी राम राम ।

  गगन शर्मा, कुछ अलग सा

23 January 2010 at 20:41

इंसान का ही है। पक्का। :)

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 20:55

अन्जना जी राम राम

द्विवेदी जी राम राम

शर्मा जी राम राम!!!

  अंजना

23 January 2010 at 20:55

समीर जी सो गये क्या ?चौकदारी की समय अवधि कब तक है:-)

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 20:59

अन्जना जी


पंडित वत्स जी जैसे हितैषी हैं..लगता नहीं कि इस जन्म में चौकीदारी छूटेगी.

  अंजना

23 January 2010 at 21:00

हा हा :-)

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 21:02

अभी तो षणयंत्रकारी लगे हैं बढ़वाने में...देखिये, किस्मत में क्या लिखा है? पता नहीं, संगीता जी किस्मत बांचे तो बात बनें..

  अंजना

23 January 2010 at 21:03

आप की चौकीदारी हमे बहूत अच्छी लगी।

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 21:03

अब तो सोच रहा हूँ खाकी यूनिफार्म बनवा लेता हूँ परमानेन्ट... :)

  अंजना

23 January 2010 at 21:05

इसे छुटने न देगे ।झट्का जी से कहेगे कि आप की तनख्याह बढा दे जरा।

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 21:05

आप भी पंडित वत्स की टीम में मिल गई...हम जबदस्ती अपना समझ कर दुखड़ा रो रहे थे... :)

  अंजना

23 January 2010 at 21:08

अपने है तभी तो ऎसा कह रहे है :-)

  अंजना

23 January 2010 at 21:09

इसी मे आप का भला है :-)

  अंजना

23 January 2010 at 21:10

समीर जी अगर मेरा जवाब सही हुआ तो जीत मेरी क्योकि द्विवेदी जी ने तो कुंबले कह दिया है।

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 21:10

जय हो ऐसा भला चाहने वालों की. ऐसा अपनत्व देख कर आँखें नम हो गई..गला रौंध आया.

  Udan Tashtari

23 January 2010 at 21:11

पक्का!! अगर ये जबाब सही है तो जीत आपकी..

  अंजना

23 January 2010 at 21:12

वाह समीर जी हम खुश हुये :-)

  अंजना

23 January 2010 at 21:19

अच्छा जी राम राम ।अब चलते है।कल मिलते है ।शुभ रात्रि, ना न आपके लिए शुभ दिन:-)

  दिनेशराय द्विवेदी

23 January 2010 at 22:11

इतने सारे लोगों ने रामराम की और जवाब भी न दे पाया। क्या करूँ? बीच में एक क्लाइंट और बाजार से दूध, चीनी, चाय पत्ती ले कर आया। जब से महंगाई चौतरफा हुई है श्रीमती जी अपुन को ही बाजार भेजने लगी हैं। स्ट्रेटेजी के तहत। कि मैं भी अपनी फीस बढ़ा दूँ।

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