बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका आयोजक के बतौर हार्दिक स्वागत करता हूं.
आपका इस खेल को संचालित करने मे मुझे पुर्ण सहयोग मिलता आया है और उम्मीद करता हूं कि अब आने वाले दिनों में भी मिलता रहेगा. और मुझे आपका सहयोग लगेगा ही, क्योंकि मेरी सजा पूरी होने के पहले ही आप लोग मुझे नई सजा दिलवा देते हैं. लगता है अब मुझे आयोजक की भूमिका मे ही आप लोग ज्यादा पसंद करते हैं. जैसी आपकी इच्छा.
इस खेल मे आप लोगो के सहयोग से रोचकता बरकरार है. सभी इसका आनंद ले रहें हैं. आगे भी लेते रहें. तो आईये अब आज का बहुत ही आसान सवाल आपको बताते हैं :-
नीचे का चित्र देखिये और बताईये कि ये क्या है?

तो अब फ़टाफ़ट जवाब दिजिये. इसका जवाब कल शाम को 4:00 तक आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" देंगे. आज मैं और डाक्टर झटका खेल दौरान आपके साथ रहेंगे.
"बकरा बनाओ और बकरा मेकर बनो"
टिप्पणियों मे लिंक देना कतई मना है..इससे फ़र्रुखाबादी खेल खराब हो जाता है. लिंक देने वाले पर कम से कम २१ टिप्पणियों का दंड है..अधिकतम की कोई सीमा नही है. इसलिये लिंक मत दिजिये.
44 comments:
26 January 2010 at 18:10
खिलौना है!
कुत्ता बड़ा प्यारा है!
गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
नया वर्ष स्वागत करता है, पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना, है गणतंत्र महान ॥
26 January 2010 at 18:12
प्लास्टिक का कुत्ता..
26 January 2010 at 18:13
सभी को राम राम और गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
26 January 2010 at 18:24
khilone ka bhalu
26 January 2010 at 18:30
खिलौना है कुत्ता के रुप मे
26 January 2010 at 18:34
सबसे बड़ा खिलौना तो आज इंसान बन गया है जिसका जैसे दिल करे बना दे...
26 January 2010 at 18:40
आईये, एक दम समय पर हाजिर हूँ, स्वागत है.
26 January 2010 at 18:40
क्या हुआ सुनीता उखड़ी उखड़ी नजर आ रही है आज!!
26 January 2010 at 18:43
polar bear
26 January 2010 at 18:44
अभी तो क्लू आने में समय है.
26 January 2010 at 18:46
Happy Republik day !! to all
26 January 2010 at 18:47
क्या समीर भाई कभी-कभी कुछ लोग किसी की भी वाहियात तस्वीर लगा देते हैं। मुझे बहुत परेशानी हो गई है इस चीज़ से।
26 January 2010 at 18:47
सभी प्रतिभागियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
आज रामप्यारी बूँदी नहीं खिलाने लाई??
26 January 2010 at 18:47
क्या बात है सुनीता जी क्यों आज मुड़ उखडा है !!!
26 January 2010 at 18:49
सुनीता
चलो, ज्यादा नाराज नहीं होते. तुमने कह दिया, वो पढ़ लेंगे और हटा देंगे. मैं वहाँ भी कमेंट में कह देता हूँ.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ. बूंदी खिलाओ.. :)
26 January 2010 at 18:49
sabhi ko ram ram...kutta hai ? nahi ji polar bear ka bachcha hai..
kya hua sunita ji!
26 January 2010 at 18:51
सब लोग पूछा पूछ कर तो बनता मूड उड़ा डालेंगे...जरा संभालना भई!!
26 January 2010 at 18:52
शिखा जी ...सुनीता की पोस्ट पढ़ लिजिये.. :)
26 January 2010 at 18:54
oh abhi gai sameer ji
26 January 2010 at 18:55
oh ab samjh aaya sunitaaji aap ki tasweer ka raaz
26 January 2010 at 18:57
सुनीता
मैने राजीव के यहाँ कमेंट करके अलग करने का निवेदन दर्ज कर दिया है.
26 January 2010 at 18:58
Raam raam sabhi ko .... Teddy beer ........
26 January 2010 at 18:58
Paanda bhi ho sakta hai ...
26 January 2010 at 18:59
सब हँस रहे हैं? ऎसा ही होता है क्या? कोई परेशान तो सब हँसे? अरे तस्वीर तो ताऊ जी ने भी लगाई थी मगर कितनी सुन्दर साड़ी में एकदम हमारी भारतीय परम्परा के अनुसार। यह क्या पहना कर पहलवान बना दिया राजीव तनेजा जी ने मुझे गुस्सा नही आयेगा क्या?
26 January 2010 at 18:59
दिगम्बर बाबू को नमस्कार!! आजकल तो सिक्किम में आपका ही नाम गूँज रहा है रेडियो से. :)
26 January 2010 at 19:00
अरे, कोई नहीं हँसा...काहे नाराज हो रही हो गणतंत्र दिवस के शुभ दिन!!
26 January 2010 at 19:00
जी समीर भाई आप समझ सकते हैं।
26 January 2010 at 19:01
इन सब बातों में बूंदी उड़ा गई???
26 January 2010 at 19:01
पहेली का उत्तर... यह मोम का बना खिलौना लग रहा है।
26 January 2010 at 19:02
मोम से खिलोने कब बनने लगे..इतना बदल गया भारत...हाय!!
26 January 2010 at 19:04
सुबह से बूँदी के लड्डू खाये जा रहे हैं। हम मारवाड़ियों के यहाँ तो यही मुख्य होता है। आज पिलानी में तो सबको बूँदी के लड्डू ही मिलते हैं जी। आप भी खाओ अब बताओ नेट पर कैसे खिलायें?
26 January 2010 at 19:06
जैसे उस रोज चाय पिलाई नेट पर! :)
26 January 2010 at 19:22
अरे ये क्या ,ये कैसी सुंगध ....बूँदी के लड्डू !!!कहाँ है ...मै भी भागती आ गई हूँ।जल्दी लाओ भई
26 January 2010 at 19:25
अंजना जी पाँच किलो भिजवाये थे वो तो अकेले समीर भाई खा गये अब दो ढाईसो ग्राम बचे हैं सो सबके हिस्से एक एक बूँदी आयेगी।
26 January 2010 at 19:27
५ किलो मैं और २५० ग्राम अन्जना जी...बाकी लोग?? :)
26 January 2010 at 19:29
भीड़ देख कर ८ किलो तो लाना चाहिये था कम से कम!
26 January 2010 at 19:30
सुनीता जी ये तो गलत बात है तभी हम सोचे कि ये समीर जी की तोंद क्यूं बढ रही है:-)
26 January 2010 at 19:31
भैया जी चीनी महँगी हो गई न वो कुछ दिन पहले एक ट्रक लुट गया चीनी का तो भैया लड्डू तो हैं पण गुड़ वाले बनाये। चलेंगे बोलो दो क्या चार किलो और भेज दूँ।
26 January 2010 at 19:33
अंजना जी इस तोंद के बढ़ने का राज मेरे लड्डू कतई नही हैं। क्योंकि उन्हे खाकर तो ...बस पूछो मत समीर भाई उनमे तनिक जुलाब की गोलियाँ मिलाई थी कौनो गलती तो नही न की। क्या है की हाजमे का सवाल है ठीक रहता है।
26 January 2010 at 19:33
Sameer bhai raam raam ..... SIKKIM par kabja kar lein kya ....
kya bolte ho ....
26 January 2010 at 19:38
क्या सुनीता जी "सबके हिस्से एक एक बूँदी आयेगी।"यह झूठी अफगाह ना फैलाऎ ।हमे तो अच्छे भले 250 ग्राम मिल रहे थे आप भी....
26 January 2010 at 19:41
अरे ऐसा न करना कि इतना बारिक हो जाऊँ कि लोग मुझे पहचान ही न पाये...
26 January 2010 at 19:44
भाई आपने अभी न खाये हों तो सबमें बाँट दीजिये ताकी कल पहेली का हल ढूँढने मै ही आ पाऊँ...:)
26 January 2010 at 19:52
चूरामन शास्त्री डांगी हैं ये ... गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये
Post a Comment