ताऊ की चौपाल मे आपका स्वागत है. ताऊ की चौपाल मे सांस्कृतिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक अथवा किन्ही भी विषयों पर सवाल पूछे जा सकते हैं. आशा है आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आयेगा.
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आज का सवाल नीचे दिया है. इसका जवाव और विजेताओं के नाम अगला सवाल आने के साथ साथ, इसी पोस्ट मे अपडेट कर दिया जायेगा.
आज की पहेली ये है, जवाब दिजिये :-
बाला था जब सबको भाया। बढा हुआ कछु काम न आया।
खुसरो कह दिया नाँव। अर्थ करो नहिं छोडो गाँव॥।
अब ताऊ की रामराम.
8 comments:
4 January 2010 at 08:21
ताऊ! जवाब क्या देवें? दिया तो चक्कर हो जावेगा।
4 January 2010 at 08:22
ताऊ! अब क्या जवाब देवें? दिया तो चक्कर हो जाए!
4 January 2010 at 08:43
कौन सी ऐसे चीज़ है..अभी तक तो कुछ बुझ नही पाया..हम तो उत्तर के इंतज़ार में है!!
पर दिमागी कसरत का प्रोग्राम बहुत बढ़िया लगा..धन्यवाद जी!!
4 January 2010 at 08:50
दीया......
4 January 2010 at 08:50
’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
4 January 2010 at 09:04
दीया
regards
4 January 2010 at 09:05
अमीर खुसरो का जन्म जिला एटा में हुआ। इनका जन्म का नाम अबुल हसन था। इनके गुरू हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया थे जिनकी इन पर अटूट कृपा थी। ये भी उन पर बडी श्रध्दा रखते थे। खुसरो संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की तथा कई भारतीय भाषाओं के ज्ञाता थे। ये 12 वर्ष की आयु से शेर और रुबाइयाँ लिखने लगे थे, जिनकी भाषा 'हिंदवी है। कहते हैं, इन्होंने 99 पुस्तकें लिखीं। हिंदी में इनकी पहेलियाँ और मुकरियाँ बहुत लोकप्रिय हुईं।
'खालिक बारी नाम से एक पद्यबध्द शब्दकोश भी इन्होंने बनाया था। खुसरो ने 'ढकोसले भी लिखे जिनके पीछे यह किंवदंती है - एक बार प्यास लगने पर गाँव के कुएँ पर लडकियों से इन्होंने पानी माँगा तो उन्होंने कहा कि आप तो खुसरो हैं, जो पहेलियाँ और मुकरिया लिखते हैं। पहले हमें खीर, चरखा, कुत्ता और ढोल पर कुछ सुनाइए। खुसरो ने तुरंत कहा :
'खीर पकाई जतन से औ चरखा दिया चलाय।
आया कुत्ता ले गया, तू बैठी ढोल बजाय, ला पानी पिला!
(अमीर खुसरो खडी बोली के प्रथम कवि, बुहभाषाविद, सूफी साधक, हिंदू मुस्लिम एकता के अग्रदूत, भारतीय संगीत के उन्नायक एवं राष्ट्रभक्त थे।)
regards
5 January 2010 at 20:57
अरे! पखावज को तबला बनाने वाले भी खुसरो ही थे।
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