नमस्कार दोस्तों. मैं आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" आज सुबह की दिमागी कसरत की कक्षा मे आपका स्वागत करता हूं. आप अगर मेरी क्लास में नियमित आते रहे तो आपका दिमाग बिल्कुल मेरी तरह यानि तेज कैंची की तरह चलने लगेगा. तो आज हम आपको एक बिल्कुल सीधा सा सवाल दे रहे हैं. इसे हल करके जवाब दिजिये. फ़िर हम आपकी कापी चेक करके बतायेंगे कि आपके दिमाग की कसरत कितनी हुई?
ऐसा क्या है जो जितना बढ़ता है, उतना कम दिखता है.
तो फ़टाफ़ट जवाब दिजिये!
15 comments:
10 January 2010 at 08:21
ये तो लालच ही हो सकता है जी!
10 January 2010 at 08:21
इसे लोभ कहते हैं जी!
10 January 2010 at 08:26
andhera?
10 January 2010 at 08:41
यह तो बहुत टेढ़ा सवाल है आचार्य जी !
10 January 2010 at 08:45
अँधेरा ।
10 January 2010 at 09:11
िआँखों मे जरूर मोतिया उतर आता होगा। मोतिया जितना बढता है उतना कम दिखता है।
10 January 2010 at 09:13
वैसे ताऊ जी ये अन्धेरा है जितना बढता है उतना कम दिखाई देता है।
अन्धेरा सही है।
10 January 2010 at 09:19
जीवन/आयु
10 January 2010 at 09:30
उम्र
10 January 2010 at 09:40
Simple hai...
Andhera [darkness]
jitna badhega hamen dikhayee kam dega.
10 January 2010 at 10:16
बुढ़ापा!
10 January 2010 at 11:14
आंखों में मोतिया और जीवन में उम्र दोनो जितना बढता है उतना कम दिखता है .. इसके अलावे भी कुछ हो सकते हैं .. कई जबाबों वाली पहेली है ये !!
10 January 2010 at 12:33
अँधेरा और उम्र दोनों
10 January 2010 at 16:56
Doori .
10 January 2010 at 17:00
प्रेम या धन ।
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