नमस्कार दोस्तों. मैं आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" आज सुबह की दिमागी कसरत की कक्षा मे आपका स्वागत करता हूं. आप अगर मेरी क्लास में नियमित आते रहे तो आपका दिमाग बिल्कुल मेरी तरह यानि तेज कैंची की तरह चलने लगेगा. तो आज हम आपको एक बिल्कुल सीधा सा सवाल पूछ रहे हैं. इसका जवाब दिजिये. फ़िर हम आपकी कापी चेक करके बतायेंगे कि आपके दिमाग की कसरत कितनी हुई?
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अनार चखा न क्यों...?
वज़ीर रखा न क्यों...?
तो फ़टाफ़ट जवाब दिजिये!
17 comments:
1 February 2010 at 08:05
दाना न था
1 February 2010 at 08:07
दाना = बुद्धिमान
"हम कहां के दाना थे, किस हुनर में यकता थे..." ग़ालिब
1 February 2010 at 08:08
shayad paise nahi the isliye.
1 February 2010 at 08:09
"झूंठा" था |
1 February 2010 at 08:16
क्या पता !!
1 February 2010 at 08:17
dono jo mitti ke bane hue khilone hai isliye;)
1 February 2010 at 08:19
दाना न था( अनार का दाना और दाना=बुद्धिमान)
1 February 2010 at 08:19
दाना न था( अनार का दाना और दाना=बुद्धिमान)
1 February 2010 at 08:20
कच्चा था |
अनार कच्चालिये खाने योग्य नहीं था | वजीर अनुभवहीन था |
1 February 2010 at 08:30
उत्तर— दाना न था( अनार का दाना और दाना=बुद्धिमान)
regards
1 February 2010 at 08:31
उत्तर— दाना न था( अनार का दाना और दाना=बुद्धिमान)
regards
1 February 2010 at 10:17
शक्की और कंजूस होगा।
1 February 2010 at 10:45
मंदी की मार की वजह से,
महंगाई इतनी बढ़ गई, ऊपर से जो पैसे शेयर मार्केट में लगाये थे वो भी डूब गए और आपको मजाक सूझ रहा है :)
1 February 2010 at 13:16
1 February 2010 at 13:17
हर बात का कोई कारण थोड़ी होता है भाई साहब!
वैसे सच ही है दाना न था।
1 February 2010 at 17:38
are koi jaruri hai sab kaam kiye hi jayen :) vaise DANA NA THA
1 February 2010 at 22:31
tau,sahee me daana na tha...
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