प्रिय मित्रगणों,
"वैशाखनंदन सम्मान पुरस्कार प्रतियोगिता" के अंतर्गत आज पढिये सुश्री निर्मला कपिला की व्यंग कविता
लेखिका परिचय : निर्मला कपिला
पंजाब सरकार के सेहत कल्यान विभाग मे नौकरी करने के बाद चीफ फार्मासिस्ट के पद से सेवानिवृ्त् होने के बाद लेखन कार्य के लिये समर्पित हूँ1 इसके अतिरिक्त पढना लिखना समाज सेवा मे गरीब बच्चों कि शिक्षा के लिये 1सहायता कला साहित्य प्रचार्मंच की अध्य़क्ष हूँ 1
2004 स लेखन विधिवत रूप से शुरु किया 1 ाब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हुई दो छपने के लिये तयार हैं
1. सुबह से पहले---कविता संग्रह 2. वीरबहुटी---कहानी संग्रह 3. प्रेम सेतु---कहानी संग्रह
अनेक पत्र पत्रिकायों मे प्रकाशन, विविध भारती जालन्धर से कहानी का प्रसारण सम्मान, पँजाब सहित्य कला अकादमी जालन्धर की ओरे से सम्मान, ग्वालियर सहित्य अकादमी ग्वालियर की ओर से शब्दमाधुरी सम्मान .शब्द भारती सम्मान व विशिष्ठ सम्मान
देश की 51 कवियत्रियों की काव्य् कृ्ति शब्द माधुरी मे कविताओं का प्रकाशन कला प्रयास मँच नंगल दुआरा सम्मानित इसके अतिरिक्त कई कवि सम्मेलनो़ मे सम्मानित
परिकल्पना ब्लाग दुआरा 2009 के शीर्ष 9 महिला चिठाकारो मे नाम
संवाद दात काम दुयारा श्रेषठ कहानी लेखन पुरुस्कार
मेरे खुशहाल परिवार मे मेरे पती जो एन एफ एल प्राईवेट लि से डिप्टी मैनेजर रिटायर हुये हैं और तीन बेटियाँ उच्चशिक्षा प्राप्त कर अपने ससुराल मे सुखी जीवन जी रही हैं
होली पर जब महमान घर आते
पतनी खुश होती पती मुँह फुलाते
पतनी को उनका ये रुख कभी ना भाया
एक दिन उसने पती को समझाया
ऎजी. अगर आप ऐसे मुंह फुलाओगे
तो होली कैसे मन पायेगी मेरी सहेलियों मे
मेरी क्या इज्ज़त रह जायेगी
महमान तो भगवान रूप होते हैं
उन्हें देख मुंह नहीं फुलाते
उनकी सेवा करते हैं और हंस कर गले लगाते हैं
ये सुन पती बोले
;रानी, तेरा हुकम बजाऊँगा
जब आयेगी तेरी सहेली
उसे गले लगाऊँगा
पर जब आयेगी मेरी माँ
तुझ से भी यही करवाऊँगा !!
सूचना :- प्रतियोगिता के बारे में यहां से जानकारी ले सकते हैं. रचनायें contest@taau.in पर भेज सकते हैं. किसी भी तरह की जानकारी के लिये भी contest@taau.in पर संपर्क करें.
19 comments:
25 March 2010 at 05:36
ha ha ha.. mazedaar rahi vyangya kavita..
25 March 2010 at 05:59
निर्मला जी को बधाई ...
आभार ..!!
25 March 2010 at 06:46
निर्मला कपिला जी को बधाई!
ताऊ को धन्यवाद!
25 March 2010 at 07:00
बढ़िया मेहमान नवाज़ी....निर्मला जी को हार्दिक बधाई ..सुंदर हास्य कविता...
25 March 2010 at 07:17
nice
25 March 2010 at 07:36
mummy ne jeeti bahut -2 bdhai..
25 March 2010 at 07:56
बढियां व्यंग,वाह.
25 March 2010 at 08:58
अच्छा व्यंग ..
25 March 2010 at 08:58
आदरणीय निर्मला कपिला जी को इस व्यंग कविता के लिए हार्दिक बधाई...
regards
25 March 2010 at 18:21
Aadarniya ko dheron badhaiya.....rachana bahut mazedar hai.
Dhanyawaad.
25 March 2010 at 18:39
hahahaha...........bahut badhya vyangya.
25 March 2010 at 22:19
वाह !बहुत बहुत बधाई निर्मला जी,
बहुत ही मज़ेदार व्यंग्य लिखा है.
इस प्रतियोगिता के ज़रिये आप का विस्तृत परिचय भी मिला.
जानकार ख़ुशी हुई कि आप समाज सेवा में भी संलग्न हैं .best wishes
आभार.
26 March 2010 at 00:21
निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई!!!
26 March 2010 at 07:29
वाह वा जी।
26 March 2010 at 19:13
बहुत ही बढ़िया व्यंग रचना...
निर्मला जी को बधाई
शुक्रिया इस रचना को पढवाने का.
26 March 2010 at 21:44
निर्मला जी को बधाई ...
आभार ..!!
27 March 2010 at 12:34
Nice one
27 March 2010 at 13:41
अच्छी रचना .. निर्मला जी को बधाई !!
31 March 2010 at 14:21
शब्दों के तीर से एक निशाना और दो शिकार वाली बात सत्य सिद्ध हुई.
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