प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. ताऊजी डाट काम पर हमने प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं का प्रकाशन शुरु कर दिया है. जिसके अंतर्गत आप नित्य विभिन्न रचनाकारों की रचनाएं यहां पढ पा रहे हैं.
आपसे एक विनम्र निवेदन है कि आप अपना संक्षिप्त परिचय और ब्लाग लिंक प्रविष्टी के साथ अवश्य भेजे जिसे हम यहां आपकी रचना के साथ प्रकाशित कर सकें. इस प्रतियोगिता मे आप अपनी रचनाएं 30 अप्रेल 2010 तक contest@taau.in पर भिजवा सकते हैं.
आज श्री प्रवीण शुक्ल (पथिक) की रचना पढिये.
लेखक परिचय
नाम-प्रवीण शुक्ल (पथिक)
जन्म स्थान - फर्रुखाबाद
शिक्षा:- यम यस सी (केमिस्ट्री )
उम्र -२६
व्यवसाय-नौकरी
शौक - सामाजिक सेवा लिखना और पढना
फोन न ..९९७१९६९०८४
ब्लॉग - इदम राष्ट्राय इदन्न न मम
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
क्या मालुम था जीवन अर्पण ,,
ओछा आँका जाएगा ,,,
क्या मालुम था मरने पर भी ,,
अपमानित होकर रोना होगा ,,,
मेरी विधवाओं को पल पल ,,,
दर्दो को ही ढोना होगा ....
क्या मालुम था बलिदानी किस्सा ,,
अखबारों मे खो जाएगा,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
उंगली उठेगी बलिदानों पर ,,
ये सत्कार भला होगा ,,,
लहू अश्रु रोयेगा वो ,,,
जो बलिदानी चाल चला होगा ,,,
आग लगेगी सीने मे ,,,
रो आसूं पी जाएगा ,,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
खूब भुनायेगे बलिदानों को ,,,
वो वोटो की खातिर ,,,
खूब सुनायेगे भाषण ,,,
वो नोटों की खातिर ,,,
नेताओं की साझ सजेगी ,,,
प्यासा सैनिक रह जाएगा ,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
क्या मालुम था वीरो का अर्पण ,,,
पैसे से तोला जायेगा ,,,
क्या मालुम था बलिदानों को ,,,
उपहासों मे बोला जाएगा,,,
धूल पड़ेगी तस्वीरों पर ,,,
कुछ मोल नहीं रह जायेगा ,,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
क्या मालुम था जीवन अर्पण ,,
ओछा आँका जाएगा ,,,
Rrgards
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11 comments:
12 April 2010 at 05:11
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
बहुत उम्दा रचना, देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत
12 April 2010 at 05:28
प्रवीण शुक्ल (पथिक)जी को पढ़कर बहुत अच्छा लगा, उन्हें बधाई.
12 April 2010 at 05:45
nice
12 April 2010 at 09:08
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
खूब भुनायेगे बलिदानों को ,,,
वो वोटो की खातिर ,,,
खूब सुनायेगे भाषण ,,,
वो नोटों की खातिर ,,,
नेताओं की साझ सजेगी ,,,
प्यासा सैनिक रह जाएगा
" वाह एक और रोचक व्यंग्य प्रस्तुती.."
regards
12 April 2010 at 10:52
बहुत सुन्दर ! हमारे बलिदानी सैनिक यही सोचते होंगे
12 April 2010 at 11:08
संवेदनशील रचना....नेताओं पर कटाक्ष करती हुई..
12 April 2010 at 11:47
क्या मालुम था वीरो का अर्पण ,,,
पैसे से तोला जायेगा ,,,
क्या मालुम था बलिदानों को ,,,
उपहासों मे बोला जाएगा,,,
बहुत सुन्दर व्यंग्य रचना
बधाई.
12 April 2010 at 13:40
सुन्दर रचना.
12 April 2010 at 21:09
क्या मालुम था बलिदानी किस्सा ,,
अखबारों मे खो जाएगा,
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वो वोटो की खातिर ,,,
खूब सुनायेगे भाषण ,
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गंभीर विषय को एक कटाक्ष के साथ प्रस्तुत करना आसान नहीं होता.
अपनी इस रचना में प्रवीण जी ने कई प्रहार किये हैं .
बहुत अच्छी प्रस्तुति.
अभी तक की प्रविष्टियाँ पढ़ते हुए कह सकते हैं कि व्यंग्य लेखन में भी बहुत विविधता नज़र आ रही है .
आयोजकों को बधाई.
12 April 2010 at 21:44
प्रवीण जी, बढ़िया ..बहुत बढ़िया रचना......वैशाखनंदन प्रतियोगिता में सम्मिलित होने की ढेर सारी बधाई..
13 April 2010 at 20:55
bahut samvedan sheel rachna
har shaheed ke man mein aise hi khyaal aate honge
bahut achcha vayang hai
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