प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. ताऊजी डाट काम पर हमने प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं का प्रकाशन शुरु कर दिया है जिसके अंतर्गत आज श्री अमृत लाल चंगेरिया (कुमावत) की रचना पढिये.
आपसे एक विनम्र निवेदन है कि आप अपना संक्षिप्त परिचय और ब्लाग लिंक प्रविष्टी के साथ अवश्य भेजे जिसे हम यहां आपकी रचना के साथ प्रकाशित कर सकें. इस प्रतियोगिता मे आप अपनी रचनाएं 30 अप्रेल 2010 तक contest@taau.in पर भिजवा सकते हैं.
लेखक परिचय :
लेखक : अमृत 'वाणी'
अमृत लाल चंगेरिया (कुमावत)
वास्तु शास्त्री एंव नक्शा नवीस
एम . ए. , एम. एड .
व्यवसाय : शिक्षा
प्राध्यापक (हिन्दी)
रा. उ. मा. वि. सेंथी चित्तौड्गढ़ (राज)
पता 134 B प्रताप नगर चित्तौड्गढ़ (राज)
फ़ोन +91 1472 244802 (R)
+91 9413180558 (M)
वेब साईट www.amritwani.com / www.amritwani.co.in
E-mail Id info@amritwani.com
amritwani8@gmail.com
रूचि पठन , लेखन तथा भ्रमण
रचनाएँ राजस्थानी व हिन्दी में पध-लेखन ,
समाचार पत्रों , आकाशवाणी व कवि सम्मेलनों में कविताओ की प्रस्तुति
प्रकाशित पुस्तकें आखर कुंडली , महालक्ष्मी चालीसा , सरस्वती चालीसा , साँवरा सेठ चालीसा ,भादवा माता चालीसा , चमत्कार चालीसा , नवी हनुमान चालीसा ,मीरा चालीसा ,जनगणना पर कुंडलिया , शिल्प कला पर सो कुंडलिया ,
प्रकाशन चेतन प्रकाशन
134 B प्रताप नगर चित्तौड्गढ़ (राज

दूकान पर जाकर बोले
सुनलो नाई पुत्र नरेश ।
आज
जल्दि डाढ़ी बनादो
गाड़ी पकड़नी है एक्सप्रेस ।।
इसे उठादे
हजामत की कुर्सी पर
मुझे बिठादे ।
इनके पैसे भी
मुझसे लेलेना
मुझे जल्दि से जल्दि निपटादे ।।
शर्माजी की शादी है
हमें बारात की बस में बैठना ।
मनुहारें तो खास नहीं की
मगर
हमें भी तो दिल्ली देखना ।।
दिल्ली देखने की
खुली है
पहली बार किस्मत हमारी ।
खा जाएगी दिल्ली
बनकर बिल्ली
यदि मैं चूक गया गाड़ी ।।
अन्तर्मन की प्रार्थना पर
वो कुर्सी से तो हट गया ।
मगर
नाई ने उस्तरा ऐसा चलाया
मेरा नाक कट गया ।।
नाई निकला नंबरी
बोला हाथ जोड़
किसी से कुछ मत केना ।
आधी कटी है
नाक आपकी
चवन्नी कम दे देना ।।
लो
कटी नाक
आपकी
अटेची में सुरक्षित रख लेना ।
दिल्ली के हॅास्पिटल में
जुड़ जाए
तो चवन्नी आते ही दे देना ।।
दिल्ली में भी
नहीं जुड़ पाए नाक
तो भी
जीवन होगा
खुशियों का खजाना ।
आपतो जानते हैं
आजकल जहाँ देखो वहां
नकटों का ही जमाना ।।
10 comments:
16 April 2010 at 05:49
श्री अमृत लाल चंगेरिया जी का स्वागत है. बहुत बढ़िया रचना. आनन्द आया.
16 April 2010 at 06:16
nice
16 April 2010 at 06:42
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ढेर सारी शुभकामनायें.
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
16 April 2010 at 07:50
नकटों का है जमाना ...
बढ़िया व्यंग्य ..
16 April 2010 at 09:22
बहुत ही बड़िया न्यंगय है!
अमृत लाल चंगेरिया (कुमावत)जी को
बहुत बहुत बधाई!
16 April 2010 at 12:39
बहुत बढ़िया नाक काट जाने के बाद भी बड़े फ़ायदे है....बढ़िया हास्य कविता..बधाई
16 April 2010 at 20:33
bahut khub
shkaher kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
16 April 2010 at 20:33
chalo ab pitaji ko ham bhi badhai de dete he
shukriya taau ji ka aap ka
shekhar kumawat
16 April 2010 at 21:11
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
mazza hi aa gya :)
17 April 2010 at 07:51
amritwani ji ka hasya hameshaa bahut gudgudata hai.inakee rajasthaani haasya rachanaaye to be hisaab hamsaatee hai.
APNI MAATI
MANIKNAAMAA
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