प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. ताऊजी डाट काम पर हमने प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं का प्रकाशन शुरु कर दिया है. जिसके अंतर्गत आप नित्य विभिन्न रचनाकारों की रचनाएं यहां पढ पा रहे हैं.
आपसे एक विनम्र निवेदन है कि आप अपना संक्षिप्त परिचय और ब्लाग लिंक प्रविष्टी के साथ अवश्य भेजे जिसे हम यहां आपकी रचना के साथ प्रकाशित कर सकें. इस प्रतियोगिता मे आप अपनी रचनाएं 30 अप्रेल 2010 तक contest@taau.in पर भिजवा सकते हैं.
आज सुश्री वाणी शर्मा की रचना पढिये.
लेखिका परिचय ....
नाम : वाणी शर्मा
शिक्षा : एम . ए .(इतिहास ), एम . ए प्रिविअस (हिंदी )
साधारण गृहिणी ...पढने का अत्यधिक शौक और कभी कभी लिख लेने का प्रयास हिंदी ब्लोगिंग तक ले आया है ...
ब्लाग : ज्ञानवाणी
ये बेचारे पति ....
हरी अनंत... हरी कथा अनंता की तरह पतियों की अपार महिमा को महज दस पॉइंट्स में प्रस्तुत करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है...मगर फिर भी कोशिश कर रही हूँ कि कुछ लिख सकूँ ....
बात पति की हो और खाने से शुरुआत ना हो ....
पत्नी के हाथ का बना भारतीय, चायनीज , कांटिनेंटल ...हर तरह का खाना अपनी अंगुलिया चाट कर खाने के बाद पेट पर हाथ फेरते पतियों के मुंह से यही सुनने को मिलेगा ...खाना तो हमारी मां बनाती थी ...(वो चाहे जिंदगी भर पुए पकौड़ी बना कर ही खिलाती रही हों )......
2 किलोमीटर जोगिंग कर के आये पत्नी और बच्चों के साथ बैडमिन्टन खेलते हुए अगर पिताजी का फ़ोन आ जाये तो फिर देखिये ....दुनिया जहां की दुःख तकलीफ एक साथ उनकी आवाज में समां जायेगी ....बरसों पहले पाँव की टूटी हड्डी का दर्द उभर कर सामने आ जाता है ....
और इन पतियों के टेनिस प्रेम का तो कहना ही क्या ...विशेषकर जब विलियम्स बहने खेल रही हों ...शर्त लगा ले ...अगर ज्यादातर पतियों को टेबल टेनिस और लोन टेनिस का अंतर भी मालूम हो तो... टकटकी लगाये इन टेनिस प्रेमियों से कोई पूछे तो कि इनके सात पुश्त में भी किसी ने टेनिस खेली थी ....और तो और जिन दिनों विम्बल्डन (महिला ) मैच आ रहे हो ...अपने सर्वाधिक प्रिय खेल क्रिकेट का त्याग भी बड़ी ख़ुशी ख़ुशी कर देते हैं ...
टीवी पर उद्घोषिकाओं के ओजस्वी बोल्ड वचनों और वादविवाद से प्रभावित इन पतियों को अक्सर पत्नियों से ये कहते सुना जा सकता है..." मुंह बंद नहीं रख सकती हो ...जरुरी है हर बात का जवाब देना "
टीवी चैनल पर कार्यक्रम को खोजते हुए रिमोट पर इनकी अंगुलिया किस कदर दौड़ती हैं कि मजाल है कोई भी कार्यक्रम ढंग से और पूरा देखा जा सके और जिन चैनल्स पर जा कर रूकती हैं ...ये नाक मुंह भौं सब सिकोड़ते हुए मिल जायेंगे ..." कैसे कैसे कार्यक्रम दिखाते हैं ये लोग भी " ....मगर मजाल है जो कम से कम दस मिनट से पहले रिमोट पर इनकी अंगुली आगे बढ़ सके ...
घर से बाहर घूमने , खाना खाने , मूवी देखने जाने पर दूसरे नव विवाहित जोड़ो (या बिना विवाहित भी ) को देखकर भीतर ही भीतर ठंडी आंहे भरते उन जोड़ो को कोसते नजर आ जायेंगे ...." क्या जमाना आ गया है " ...अब ऐसे में कोई उनके बीते ज़माने याद दिला दे तो ...
फिल्मे बकवास होती है ..क्या कहानी होती है ...फालतू समय की बर्बादी ....मगर माशूका या पत्नी के गम में इन पतियों को पास बैठी पत्नियों को बिसराते शाहरुख के साथ आंसू बहते अक्सर देखा जा सकता है ...कोई गम सालता है इन्हें भी ...कि जुदाई का गम कैसे महसूस करे... ये कही जाती ही नहीं ...
पत्नी की लाई अच्छी से अच्छी शर्ट भी इन्हें तभी पसंद आती है जब बाहर से उनकी तारीफ सुन कर आयें ...
उम्र बढ़ने के साथ इनकी खूबसूरती बढती जाती है...और पत्नी की कम (खुद इन पतियों की नजरों में )
और बार बार टूटा दिल तो ये अपनी जेब में लेकर चलते हैं...चेहरे की रंगत बताती है जितनी बार टूटा उतना अधिक फायदा ...अलग- अलग टुकड़े अलग- अलग सुन्दरियों को एक साथ देने के काम आ जाते हैं
कितना क्या लिखूं ...अनगिनत पुराण लिखे जा सकते हैं ....मगर कही जाकर तो रुकना होता है ...एक साथ इतने झटके झेल नहीं सकते ....बाकि फिर कभी ...
जरुरी सूचना :-
सभी माननिय प्रतिभागी रचनाकारों को विनम्रता पूर्वक सूचित किया जाता है कि हमारे पास जिस क्रम में रचनाए आई हैं हम उन्हें उसी क्रम में छाप रहे हैं. जिनका भी सहमति पत्र मांगा गया है उनकी रचनाएं प्रतियोगिता में शामिल की गई हैं. जिनके सहमति पत्र आ चुके हैं उन सभी की रचनाएं क्रमवार प्रकाशित की जारही हैं. अभी प्रतिभागी रचनाकारों की सिर्फ़ प्रथम रचना ही छापी जा रही हैं. जिनकी एक से ज्यादा रचनाएं आई हैं उनका प्रकाशन अगले दौर में किया जायेगा.
इस प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तिथी ३० अप्रेल २०१० है. आपसे निवेदन है कि अपनी रचनाएं निर्धारित तिथी के पुर्व ही भिजवाने की कृपा करें. ३० अप्रेल २०१० के बाद आई हुई रचनाएं स्वीकार नही की जायेंगी.
- वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता कमेटी
16 comments:
21 April 2010 at 05:16
पति पुराण बहुत अच्छा है
21 April 2010 at 05:34
हा हा हा हा ..
आखिरकार देवी के दर्शन हो ही गए...
बहुत बहुत बहुत बधाई...
ताऊ जी आपने वाणी की तस्वीर लगा कर असंभव को संभव कर दिखाया है...
हम आपके चरण छूना चाहते हैं.....कहाँ है आपके चरण प्रभू....!!!
हाँ नहीं तो...!!
21 April 2010 at 06:06
वाकई इतने झटके नहीं झेल सकते एक साथ, ये भी भारी पड़ रहे हैं :)
बेहतरीन
21 April 2010 at 06:18
nice
21 April 2010 at 06:34
सुश्री वाणी शर्मा जी का स्वागत है वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में. आनन्द आया पढ़कर, बधाई.
21 April 2010 at 06:36
बेचारे पति.... इस दिल से टुकड़े हजार हुए कोइर् यहां गिरा कोइर् वहां गिरा..
21 April 2010 at 08:28
पति पुराण की तारीफ करनी होगी..बहुत बढ़िया प्रस्तुति..बधाई वाणी जी
21 April 2010 at 08:54
हा हा हा
वाणी जी-आप तो आधी ही पोल खोलकर रह गयी,
अब बचा ही क्या है?
बेचारे पति
बहुत ही बढिया-आभार
21 April 2010 at 10:54
बहुत बढ़िया ,सही नब्ज पकड़ी है आपने पति समाज की ..सटीक रचना
21 April 2010 at 11:01
बढ़िया रहा ये पति पुराण....एक दम सच कह दिया है..
21 April 2010 at 12:08
pati puran bahut hi badhiya raha........badhaai.
21 April 2010 at 12:26
अरे! वाह!.... आज तो दी.... से मिल कर बहुत अच्छा लगा.... बहुत ख़ुशी हुई दी.... ताऊ जी.... को नमन....
21 April 2010 at 12:52
आनंद दायक रहा. आभार.
21 April 2010 at 13:02
हा हा हा ..सच्चाई बयान कर दी बिलकुल..एक एक कर पोल खोल डाली...क्या खूब लिखा है..
और सच में इतने दिनों बाद ही सही आपके दर्शन हुए तो...आज का दिन तो कुछ ख़ास है :)
21 April 2010 at 13:12
vani jee ne badhiya pol kholee hai..badhaii bahut bahut
22 April 2010 at 05:28
आभार ...!!
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