प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
सभी प्रतिभागियों का वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये हार्दिक आभार. इस प्रतियोगिता में सभी पाठकों का भी अपार स्नेह और सहयोग मिला, बहुत आभार आपका.
कुछ मित्रों की इंक्वायरी उनके शेष बचे आलेखों के बारे में आती रहती हैं. उनसे निवेदन है कि उनकी शेष रचनाएं क्रमश: प्रकाशित होंगी. अगर कोई रचना किसी त्रुटीवश नही मिल रही होगी तो सूचना मिलने पर आपसे इमेल द्वारा संपर्क किया जायेगा.
इस पोस्ट में श्री संजय कुमार चौरसिया की रचना पढिये
लेखक परिचय
नाम :-- संजय कुमार चौरसिया
माता :-- श्रीमती जानकी देवी चौरसिया
पिता :-- श्री जगत नारायण चौरसिया
जन्म :--- १५ मार्च १९७८
शिक्षा :--- M. COM
स्थान :---- शिवपुरी , मध्य-प्रदेश
ब्लाग : संजय कुमार
मुझे तो बहुत शर्म आती है , और आप लोगों को .........>>>>>>
मैं हूँ आपका करीबी दोस्त, उससे भी बढकर , मैं रहता हूँ हमेशा आपके दिल से चिपककर , चाहें उसका परिणाम अच्छा हो या बुरा ! खैर बाद मैं बात करते हैं ! अभी मैं अपनी ताक़त आपको बता रहा हूँ ! आज किसी छोटे मोटे देश की जनसँख्या उतनी नहीं होगी जीतनी संख्या मेरी है ! आज मैं विश्व के लगभग बहुत सारे लोगों के पास रहता हूँ ! मैं ना तो जात पात देखता हूँ , ना अमीर गरीब , ना दोस्त और ना दुश्मन , आज हर छोटी जात बाले के पास या बिश्व के सबसे धनि व्यक्ति के पास मिलूंगा ! आज मैं हर घर मैं तो हूँ ही , घर के आधे से ज्यादा लोगों के पास भी मिल जाता हूँ ! मेरे बिना तो आज विश्व मैं कोई काम हो हो नहीं सकता ! आज मेरे कारण ही इस देश मैं बैठा कोई भी विदेश मैं बैठे हुए अपनों से बात कर सकता है ! यहाँ तक तो आप सब समझ गए होंगे की मैं कोन हूँ ! और मैं क्यों इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहा हूँ ! मैं हूँ आपका मोबाइल और टेलीफोन !मैंने इन्सान को इस आधुनिक दुनिया मैं एक ऐसी चीज दी हैं , इसकी अहमियत आप इस बात से लगा सकते हैं ! की एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को जितना प्यार नहीं करता होगा उससे कहीं ज्यादा मुझे ! (प्रेमी प्रेमिकाएं नाराज ना हों ) आज एक छोटे से छोटा काम हो या कोई बड़ा , हर काम मैं मेरा उपयोग होता है , और मैं बहुत खुश होता हूँ ! मैं इंसानों की आपस मैं बात कराता हूँ और अब तो मैं चिट्ठी भी भेजता हूँ ! मुझ पर विडियो , फ़िल्में, गाने , और भी मनोरंजन के साधन उपलव्ध हैं !
जब मेरा उपयोग अच्छे काम के लिए होता है, अच्छे सन्देश पहुँचाने के लिए होता है , जब मेरे द्वारा किसी के व्यवसाय मैं तरक्की होती है तो मन ही मन बहुत खुश होता हूँ ! और अपने आप मैं गर्व भी महसूस करता हूँ , कि जैसे देश को जितनी जरूरत प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कि हैं, उतनी ही मेरी , आज मैं बहुत खुश हूँ .....................
पर ये क्या हो रहा है मेरे साथ , मेरा तो अब उपयोग कम दुरूपयोग ज्यादा हो रहा है ! अरे भाई मेरा उपयोग सही से करो , आप लोग तो अपनी जान कि भी परवाह नहीं करते मेरा उपयोग करते समय कुछ तो ध्यान रखा करो ! जब आप गाड़ी चलाते हैं तो बिलकुल लापरवाह हो जाते हैं , कुछ तो शर्म करो, क्यों अपनी मौत का जिम्मेदार मुझे ठहराते हो !सरकार कितना आपको नियम कानून बताती है , पर आप लोग नहीं सुधरते और ना सुधरेंगे ! गलती आप लोग करते हैं और भुगतना आपके परिवार को ! अरे भाई ऐसा ना करे ! मुझे तो तब बहुत शर्म आती है जब आप लोग मुझे घर के टायलेट और बाथरूम तक ले जाते हैं , कृपया वहां पर मुझे ना ले जाएँ ! और मुझे बहुत शर्म जब आती है , जब आप लोग मुझे किसी कि शमशान यात्रा मैं ले जाते हैं , और वहां पर भी मेरा मुंह बंद नहीं करते , उस जगह मैं बहुत शर्मिंदा होता हूँ , थोड़ी सी शर्म आप लोग भी किया करो ..................
मुझे तो बहुत शर्म आती है, और आप लोगों को .......... थोडा सा सोचिये
6 comments:
3 May 2010 at 05:24
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे श्री संजय कुमार चौरसिया का स्वागर है. इस रचना के लिए बधाई.
3 May 2010 at 06:39
शर्म तो आनी चाहिए ...!!
3 May 2010 at 07:03
अच्छा लेख-आभार
3 May 2010 at 07:36
बढ़िया आलेख!
"वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री संजय कुमार चौरसिया" को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
3 May 2010 at 08:18
वाह संजय जी बहुत खूब...बढ़िया रचना..वैशाखनंदन प्रतियोगिता में स्वागत है
3 May 2010 at 08:35
सुन्दर प्रस्तुति। संजय जी को इस बिशेष सम्मान के लिए बधाई।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Post a Comment