प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की रचना पढिये.
लेखक परिचय
नाम- डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
पिता का नाम- श्री महेन्द्र सिंह सेंगर
माता का नाम- श्रीमती किशोरी देवी सेंगर
शिक्षा- पी-एच0डी0, एम0एम0 राजनीतिविज्ञान, हिन्दी साहित्य, अर्थशास्त्र, पत्रकारिता में डिप्लोमा
साहित्य लेखन 8 वर्ष की उम्र से।
कार्यानुभव- स्वतन्त्र पत्रकारिता (अद्यतन), चुनावसर्वे और चुनाव विश्लेषण में महारत
विशेष- आलोचक, समीक्षक, चुनाव विश्लेषक, शोध निदेशक
सम्प्रति- प्रवक्ता, हिन्दी, गाँधी महाविद्यालय, उरई (जालौन)
सम्पादक- स्पंदन
निदेशक- सूचना का अधिकार का राष्ट्रीय अभियान
संयोजक- पी-एच0डी0 होल्डर्स एसोसिएशन
ब्लाग : रायटोक्रेट कुमारेंद्र और शब्दकार
और वो हो गये खफा
वो ढूँढ़ते रहे बहाने और होते रहे खफा।
हम लगे रहे मनाने में, वो होते रहे खफा।।
हाय री किस्मत कदम-कदम पर देती रही दगा।
हम न बोलें तो खफा, बोलें तो भी खफा।।
एक दिन वो मिले बड़े जोशोखरोश से,
हमने जवाब दिया होंठों को चौड़ा करके।
वो समझ गये इसे अपनी तौहीन, और हो गये खफा।।
बोले कभी मुँह से भी कह दिया करिये,
तारीफ में हमारी दो शब्द रच दिया करिये।
हमने कहा उन्हें चाँद का टुकड़ा, और वो हो गये खफा।।
कहने लगे मैं हूँ यदि चाँद का टुकड़ा,
तो पूरे चाँद को कहाँ रखा है छिपा।
हम न मिटा सके उनका सुबहा, और वो हो गये खफा।।
वो इसी बात पर बस बिगड़ते रहे,
हम बात सँभालने में उलझते ही गये।
उन्हें तो मिल गया एक बहाना, और वो हो गये खफा।।
हमने कहा क्यों बात-बात पर बिगड़ते हैं,
हम तो आपको ही अपना समझते हैं।
बनकर आपका साया रहना चाहते हैं,
आपकी घनी जुल्फों तले सोना चाहते हैं।
बिग उतार कर हाथ में थमा दी गुस्से में,
बोले बिलकुल सोइये कब मना करते हैं।
हम ठोंक कर रह गये अपना माथा, और वो हो गये खफा।।
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डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
सम्पादक - स्पदंन
प्रवक्ता - हिन्दी विभाग,
गाँधी महाविद्यालय, उरई (जालौन)
3 comments:
30 May 2010 at 05:27
मेरे नए ब्लोग पर मेरी नई कविता शरीर के उभार पर तेरी आंख http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_30.html और पोस्ट पर दीजिए सर, अपनी प्रतिक्रिया।
30 May 2010 at 05:37
एक बेहतर रचना और इस बिशेष सम्मान के लिए कुमारेन्द्र जी को बधाई।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
30 May 2010 at 07:32
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर का स्वागत है इस उम्दा रचना के साथ.
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