वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : सुश्री वाणी शर्मा

प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में सुश्री वाणी शर्मा की रचना पढिये.

लेखिका परिचय ....
नाम : वाणी शर्मा
शिक्षा : एम . ए .(इतिहास ), एम . ए प्रिविअस (हिंदी )
साधारण गृहिणी ...पढने का अत्यधिक शौक और कभी कभी लिख लेने का प्रयास हिंदी ब्लोगिंग तक ले आया है ...
ब्लाग : ज्ञानवाणी और गीत मेरे.........


अब जो आओ बापू

देश में जो हाहाकार मची है
मारकाट चीखपुकार मची है
टुकड़े टुकड़े हो जाए ना
आर्यावर्त कहीं खो जाए ना

जाति पांति की हाट सजी है
मजहब की दीवार चुनी है
स्वतंत्रता कहीं बिक जाए ना
देश मेरा खो जाए ना

जाति धर्म प्रान्त भाषा कुर्सी की यह जंग देश को अनगिनत सूबों में बदल जायेगी
फिर कोई ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के बहाने हम पर हुकूमत चलाएगी
नींद से जागेंगे जब हम भारतवासी फिर बापू तुम याद आओगे
इस देश में बापू तब ही तुम फिर से पूजे जाओगे

आर्त्र पुकार सुनकर तुम कही घबराओगे
पुनर्जन्म पाकर जो फिर से लौट आओगे
स्वदेश की अलख फिर से जगाओगे
फिर से राष्ट्रपिता की पदवी पा जाओगे
सच कहती हूँ बापू तुम फिर से पूजे जाओगे

पर अब जो आओ बापू
मत आना इनके झांसे में
ना शामिल होना इनके तमाशे में

सलाह मेरी पर ध्यान धरना
तीन बन्दर जरुर साथ रखना
पर पहले की तरह ये मत कहना
बुरा मत देखो बुरा मत कहो बुरा मत सहो
इस बार अपना संदेश बदलना
आँख कान मुंह हमेशा बंद ही रखना
स्वदेश मंत्र को हाशिये पर रखना
सत्ता जंतर का पूरा स्वाद चखना

भावुकता के पचडे में मत पड़ना
हाथ जोड़ कर विनम्रता से कहना
राष्ट्रपिता के पद का मुझे क्या है करना
मेरी झोली तो तुम छोटे से मंत्री पद से भरना
पाँच वर्षों में ही झोली इतनी भर जायेगी
सात सही चार पीढियां तो तर ही जायेंगी




तारी 20 मई 2010

6 comments:

  M VERMA

20 May 2010 at 05:02

टुकड़े टुकड़े हो जाए ना
आर्यावर्त कहीं खो जाए ना
बहुत सुन्दर रचना
चिंता जायज है

  विनोद कुमार पांडेय

20 May 2010 at 06:23

सामयिक रचना..बढ़िया लगी....वैशाखनंदन प्रतियोगिता में आपकी शामिल आपकी रचनाएँ बहुत ही बढ़िया और भावपूर्ण है....बधाई

  डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

20 May 2010 at 06:33

वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में सुश्री वाणी शर्मा की रचना बहुत सशक्त है!

  Udan Tashtari

20 May 2010 at 06:35

वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में सुश्री वाणी शर्मा जी का स्वागत है इस बेहतरीन रचना के साथ.

  seema gupta

20 May 2010 at 08:30

बेहद अच्छी रचना, वाणी जी को शुभकामनाये.

regards

  संगीता स्वरुप ( गीत )

20 May 2010 at 12:03

सशक्त लेखन....बहुत बढ़िया लिखा है.बापू को भी सलाह दे ही डाली... :):)

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