प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री निलेश माथुर की रचना पढिये.
लेखक
परिचय -
नाम- निलेश माथुर
पेशा - व्यवसाय
मूल रूप से बीकानेर, राजस्थान का रहने वाला हूँ, अब गुवाहाटी, असम में रहता हूँ , पढने का बहुत शौक है साथ ही थोडा बहुत लिख भी लेता हूँ, पत्र पत्रिकाओं में अक्सर मेरी कविताएँ प्रकाशित होती हैं!
शीर्षक- कलयुगी रावण
कलयुगी रावण ने
सोए हुए हनुमान से कहा
भाई तुमने मेरी लंका क्यों जलाई,
हनुमान ने नेत्र खोले
और बोले....
तुमने सीता माँ का हरण किया
और मेरी पूंछ में आग लगाई
इसी लिए मैंने
तुम्हारी लंका जलाई,
तब रावण बोला....
मैंने तो एक सीता का हरण किया
आज कितनी सीताओं के
हरण होते हैं
और आप लम्बी तान कर सोते हैं
अब क्यों नहीं जलाते
इनकी लंका को
क्यों नहीं बचाते अब सीता को,
हनुमान बोले...
सोने दो भाई
हरण होने दो
एक पूंछ थी वो भी तुमने जलाई
आज तो घर घर में रावण है भाई
किस किस कि लंका जलाऊंगा
मुफ्त में मारा जाऊंगा!
5 comments:
29 May 2010 at 04:56
बहुत तीखी रचना, जबरदस्त
29 May 2010 at 05:38
निलेश जी धन्यवाद. बढ़िया प्रस्तुति...
29 May 2010 at 06:46
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री निलेश माथुर जी का स्वागत एवं इस रचना के लिए बधाई.
29 May 2010 at 07:02
बहुत खूब निलेश जी - रावण की संख्या सचमुच रोज बढ़ती जा रही है। इस सम्मान के लिए बधाई।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
29 May 2010 at 09:26
... रचना प्रसंशनीय है !!
राम राम ताऊ जी !!!
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