प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री विनोद कुमार पांडेय की रचना पढिये.
लेखक परिचय :-
नाम-विनोद कुमार पांडेय
जन्मस्थान: वाराणसी
शिक्षा: मास्टर ऑफ कंप्यूटर अप्लिकेशन
उम्र: २६ वर्ष
व्यवसाय: नौकरी
शौक: पढ़ना एवम् लिखना
ब्लाग : मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने
बेटे की शादी में अनोखे लाल का हंगामा
बदली बदली थी सूरत,बदली बदली चाल,
बेटे की शादी करने, चले अनोखे लाल.
रंगदार कुर्ता बनवाएँ, चूड़ीदार पाजामा,
बाँधे घड़ी टाइटन की,जो दिए थे बंशी मामा,
फुल पॉलिश से चमक रही,पैरों में काला जूता,
पगड़ी सर पर शोभे,जैसे पंचायत के नेता,
दाढ़ी-मूँछ सफाचट करके, रंग डाले कुल बाल,
बेटे की शादी करने, चले अनोखे लाल.
एक मारुति मँगवाए थे,अपने लिए अकेले,
बगल गाँव से बुलवाए थे,तीन लफंगे चेले,
बात बात जयकारी, सब पट्ठो से लगवाते थे,
बीड़ी जला ले,वाला गाना, बार बार बजवाते थे,
ठुमका लगा लगा कर अपना,हाल किए बेहाल,
बेटे की शादी करने, चले अनोखे लाल.
समधी के घर दरवाजे पर,धमा-चौकड़ी खूब मचाए,
जम कर के जलपान किए,फिर भाँग गटक पान चबाए,
लगे झूमने फिर आँगन में, देख घराती थे हैरान,
ज़ोर ज़ोर से बोल रहे थे, मुँह में लेकर मगहि पान,
थूक दिए समधिन के उपर, जम के मचा बवाल,
बेटे की शादी करने, चले अनोखे लाल.
समधिन ने दो दिए जमा के, गाल हो गये लाल
बेटे की शादी करने, चले अनोखे लाल
9 comments:
30 May 2010 at 17:27
वाह ! बहुत खूब विनोद जी
30 May 2010 at 17:49
रोचकता से भरपूर व्यंगात्मक कविता ,उम्दा प्रस्तुती |
30 May 2010 at 18:03
"वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगोता मे : श्री विनोद कुमार पांडेय" जी का अभिनन्दन!
बहुत सुन्दर रचना है!
30 May 2010 at 18:04
शादी में भांग ? क्या शादी होली के दिन थी ?
अच्छी व्यंग रचना । थोड़ी बेहतर हो सकती थी ।
30 May 2010 at 18:04
शादी में भांग ? क्या शादी होली के दिन थी ?
अच्छी व्यंग रचना । थोड़ी बेहतर हो सकती थी ।
30 May 2010 at 19:16
बेटे की शादी करने, चले अनोखे लाल.
समधिन ने दो दिए जमा के, गाल हो गये लाल
बहुत बेइंसाफी हुआ ये तो
मजेदार
30 May 2010 at 19:57
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री विनोद कुमार पांडेय का स्वाग्त इस मजेदार रचना के साथ.
31 May 2010 at 11:20
बहुत अच्छी कविता है।
31 May 2010 at 11:22
बहुत अच्छी कविता है।
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