प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री विनोद कुमार पांडेय की रचना पढिये.
लेखक परिचय :-
नाम-विनोद कुमार पांडेय
जन्मस्थान: वाराणसी
शिक्षा: मास्टर ऑफ कंप्यूटर अप्लिकेशन
उम्र: २६ वर्ष
व्यवसाय: नौकरी
शौक: पढ़ना एवम् लिखना
ब्लाग : मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने
नेताजी और जुतो की महिमा
जूता-चप्पल का महत्व,इस युग मे रंग जमाया है,
लोकतंत्र के गुरुओं ने, जूता,चप्पल अपनाया है,
अश्त्र बना कर इसे सभी आपस मे लड़ते रहते है,
दूँगा अभी एक, कुछ ऐसा पकड़ के जूता कहते हैं.
कल तक पैरों मे सजता था,आज सिरो पर बाज रहा,
राजनीति के गलियों मे, अब जूतो का ही राज रहा,
ज़रा भी उल्टा मुँह से,निकले करे विपक्षी जम कर वार,
एक बार मंत्री जी बोले,जूता बोले बारॅम्बार.
संसद की रंगत बन कर,सबको मनोरंजन बाट रहें,
कभी काटते थे पैरों को, आज ये चाँदी काट रहें,
जूता नाम नही है नीचा, इसका भी सम्मान है अब,
मंत्री जी के सिर की शोभा,सोचो कितनी शान है अब.
गाँव,गली कस्बे से लेकर संसद तक आबाद है ये,
कही लगा कुछ दिल को भारी,जूता जिंदाबाद है ये,
भाषण,शासन ठीक ना लगे,पड़े धड़ाधड़ फिर जूता,
हक़ का राशन ठीक ना लगे,पड़े धड़ाधड़ फिर जूता.
जूता,चप्पल पर विशेष,जल्दी टी. वी. पर जाएगा,
घर से लेकर संसद तक,जो जम कर,दौड़ लगाएगा,
बनेगा जूता नंबर वन, जो नेता को को अर्पित होगा,
सर पे ले या माला पहने, दो ही जगह समर्पित होगा.
हर एक नज़र मे भाव बढ़ेगें,जूता नामक जात का,
नेता जी भी ट्रैनिंग लेगें, जूतों की बरसात का,
घर मे बीवी से खाई जो,वही निशाना मारेंगे,
जूतों की मारामारी में कभी नही वो हारेंगे.
जो पक्का पीटता होगा,वो रोज ही बाज़ी जीतेगा,
संसद मे सब बदला लेगा,घर मे जैसा बीतेगा,
जूतों की मारामारी पर,नज़र रखेगी ये जनता,
हार गया जो, जाकर उसको फिर पिटेगी ये जनता,
इतने मेहनत से भेजी थी,संसद मे पिट जाने को,
जूतावान महान नेता का,यूँ निशान मिट जाने को,
बाद मे उनको भेजेंगे,जो कभी नही यूँ हारेंगे,
बनेगें वो बड़का मंत्री,जो ज़्यादा जूता मारेंगे.
बढ़ता भाव देख जूतो का, दिल कुछ ऐसा है कहता,
सच मे कही बदल जाएँ दिन,उसका जो इतना सहता,
लिफ्ट करा दे जूते को , अब आगे सिर पर ही पहने,
टोपी पैरों मे चिपका दे,मत पूछो फिर क्या कहने,
कुछ दिन बाद यही नेता आराम से जूता झेलेंगे,
संसद के अंदर आकर फिर टोपी टोपी खेलेंगे,
सब कुछ हो सकता है,भाई अपने भारत देश मे,
घूम रहे है बहरूपिया,साधु सज्जन के वेश मे.
3 comments:
6 May 2010 at 17:13
बहुत बढ़िया ठहाका स्वीकार करे ...
6 May 2010 at 22:20
स्वागत है आपका ...बिलकुल सही लिखा है जनाब. चलो नेता लोगो ने जूते की महिमा तो बड़ाई और कुछ तो ना कर सके.
http://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/
8 May 2010 at 06:43
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे श्री विनोद कुमार पांडेय जी का बहुत स्वागत एवं इस रचना के लिए बधाई.
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