प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री M VERMA की रचना पढिये.
लेखक का संक्षिप्त परिचय :
मेरा परिचय :
नाम : M Verma (M L Verma)
जन्म : वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., बी. एड (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)
कार्यस्थल : दिल्ली (शिक्षा विभाग, दिल्ली सरकार) अध्यापन
बचपन से कविताओं का शौक. कुछ रचनाएँ प्रकाशित / आकाशवाणी से प्रसारित. नाटकों का भी शौक. रस्किन बांड की ‘The Blue Umbrella’ आधारित नाटक ‘नीली छतरी’ में अभिनय (जश्ने बचपन के अंतर्गत). भोजपुरी रचनाएँ भी लिखी है. दिल्ली में हिन्दी अकादमी द्वारा आयोजित ‘रामायण मेले’ में भोजपुरी रचना पुरस्कृत. हिन्द युग्म जनवरी मास 2010 की कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान.
ब्लाग : जज्बात एवम यूरेका

मैने अपने जीवन का
बहुत समय खर्च किया है
कुत्तों पर बहुत गहराई से
रिसर्च किया है.
मैं भी परम्परा निभाया है
सबसे पहले
इनके नस्ल के बारे में बताऊंगा
जो लोग सतही तौर पर देखते हैं
वे इनकी सैकड़ों नस्लें बताते हैं
मैं अपने रिसर्च के दौरान
छान आया हूँ पूरा जग
अब तो पहचानने लगा हूँ मै
इन कुत्तों की रग-रग
बेशरम हड्डी खाकर
कभी मुँह नहीं धोता है.
मेरा खोज बतलाता है
कुत्तों का केवल
दो नस्ल होता है.
एक जन्मजात कुत्तों की
तो दूसरी नस्ल है
कुत्तों के गुणों (!!) को
आत्मसात किये कुत्तों की.
पहला तो फिर भी
कम खतरनाक होता है
दूसरे का काटा तो
जीवन भर रोता है.
मेरे अध्ययन का तो
सीधा सा तर्क है
कुत्ते और गधे में
बहुत फर्क है
कोई कुत्ता
गधा नहीं बनना चाहता है
पर कुछ गधे
कुत्ते ज़रूर बन जाते हैं
एक बार इनकी सभा में
बाइज्जत मैं भी शरीक हुआ
मैने देखा कि
अपनी सभा में भी ये खुद को
बहुत कम सामने लाते हैं
मंच पर तो ये
गधों को ही बिठाते हैं
सामने की सीट पर
ये खुद बैठ जाते हैं
पिछली सीट पर
कुछ दुम दबाऊ तो कुछ
टांग उठाऊ कुत्ते बैठ जाते हैं
अगली पंक्ति में मंच के सामने
बड़े कुत्ते विराजमान होते हैं
कभी ये मेहमान तो
कभी ये मेज़बान होते हैं
सबसे खतरनाक कुत्ता
सबको चुप कराकर
माईक हाथ में ले लेता है
और बेशरम
इंसानों पर किये रिसर्च का
ब्यौरा देता है
इनकी भौंक सुनकर
सिर में दर्द होने लगा
अब बाम लूंगा
इन्हीं शब्दों के साथ
अब मैं विराम लूंगा
तारीख 19 मई 2010
8 comments:
19 May 2010 at 05:17
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री M VERMA जी का स्वागत है और मजेदार रचना के लिए बधाई.
19 May 2010 at 07:07
कविता की पंक्तियां बेहद सारगर्भित हैं।
19 May 2010 at 07:09
बहुत मजेदार रचना
बधाई
19 May 2010 at 08:00
वाह बहुत अच्छी लगी रचना वर्मा जी को बधाई। ताऊ जी आप कैसे हैं? राम प्यारी को भी मेरी नमस्ते कहें।
19 May 2010 at 08:00
वाह ...रोचक ..!!
19 May 2010 at 08:24
सही है....बधाई हो वर्मा जी...मजेदार रचना
19 May 2010 at 09:58
ज़बरदस्त रिसर्च किया है आपने...... बहुत बढ़िया लगी यह रचना...
19 May 2010 at 11:25
वाह यह रोचक कुत्ता पुराँ पढ़कर तो मजा आ गया!
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