वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : श्री M VERMA

प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री M VERMA की रचना पढिये.

लेखक का संक्षिप्त परिचय :
मेरा परिचय :
नाम : M Verma (M L Verma)
जन्म : वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., बी. एड (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)
कार्यस्थल : दिल्ली (शिक्षा विभाग, दिल्ली सरकार) अध्यापन
बचपन से कविताओं का शौक. कुछ रचनाएँ प्रकाशित / आकाशवाणी से प्रसारित. नाटकों का भी शौक. रस्किन बांड की ‘The Blue Umbrella’ आधारित नाटक ‘नीली छतरी’ में अभिनय (जश्ने बचपन के अंतर्गत). भोजपुरी रचनाएँ भी लिखी है. दिल्ली में हिन्दी अकादमी द्वारा आयोजित ‘रामायण मेले’ में भोजपुरी रचना पुरस्कृत. हिन्द युग्म जनवरी मास 2010 की कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान.
ब्लाग : जज्बात एवम यूरेका


उपलब्धियाँ

चुप रहिए
वे कुछ बोलने जा रहे हैं
उपलब्धियों को वे
तौलने जा रहे हैं
भाइयों और बहनों
हमारा देश स्मूथली 'रन' कर रहा है
देखते नहीं कितनी आसानी से अपना काम
'गन' कर रहा है
क्या कहा ?
बलात्कार बहुत ज्यादा हुआ है
अरे! इतना भी नहीं पता
उम्मीद से बिल्कुल आधा हुआ है
घोटाले-घोटाले क्यूँ चिल्ला रहे हो
तुम तो विरोधियों से सुर मिला रहे हो
किसी देश की अच्छी अर्थव्यवस्था
और घोटालों में अभिन्न नाता है
घोटालो का सकारात्मक पहलू
क्या तुम्हे नज़र नहीं आता है
सबसे बड़ी उपलब्धि तो देखो
अब हम विश्वस्तर के घोटालें करते हैं
सामूहिक हत्याकांड पर कौन है
जो सवाल खड़ा कर रहा है
यकीनन कोई आपके कान भर रहा है
जनसँख्या वृद्धि के इस दौर में
सामूहिक हत्याकांड
व्यापक प्रभाव छोड़ते हैं
परिवार नियोजन कार्यक्रम को
सही दिशा में मोड़ते हैं
कुछ न होने से तो अच्छा है
कि कुछ होता रहे
क्या आप चाहते हैं कि
हमारा देश सोता रहे
मन में कोई भ्रम मत पालिए
लगे हाथों इस बात पर भी नज़र डालिए
विश्व में सबसे ज्यादा हम
जांच कमीशन बिठाते हैं
अरे! कभी कभी तो
जांच कमीशन की जांच के लिए भी
जांच कमीशन ले आते हैं
हमें पता था तुम चिल्लाओगे
मंहगाई का मुद्दा जरूर लाओगे
मानता हूँ मंहगाई बढ़ी है
कीमते आसमान तक चढी हैं
समस्यायें हो रहीं हैं मोटी
आम आदमी से दूर हो रही है रोटी
महानुभावों बढ़ी कीमतों के साथ
घटी कीमतों पर भी तो नज़र डालो
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ार में हमने
रूपये की कीमत को धूल चटा दिया है
बैंक जमा राशि पर ब्याज प्रतिशत घटा दिया है
कीमत घटने का सबसे बड़ा प्रमाण ले लो
बिल्कुल मुफ्त में जब चाहो
किसी का प्राण ले लो
अरे! हमने तो रोटी से ज्यादा
आदमी को अहमियत दिया है
इंसान की कीमत घटाकर तभी तो
शून्य नियत किया है
.
जी हाँ!
शून्य नियत किया है

M Verma


तारी 21 मई 2010

8 comments:

  AKHRAN DA VANZARA

21 May 2010 at 17:13

बहुत बढिआ ... दमदार कविता ...
वाह!!!~! वर्मा जी वाह ...!!!!

  माधव( Madhav)

21 May 2010 at 17:28

शानदार दमदार कविता ...

  माधव( Madhav)

21 May 2010 at 18:03

दमदार कविता ...

  संजय कुमार चौरसिया

21 May 2010 at 18:08

vermaji aapko bahut bahut badhai

bahut badiya kavita hai
dil khush ho gaya

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

  डॉ टी एस दराल

21 May 2010 at 20:04

वर्मा जी की कविताओं में से सबसे बेहतरीन कविताओं में एक ।
बहुत बढ़िया व्यंगात्मक रचना ।
आनंद आ गया ।
ताऊ को राम राम ।

  Udan Tashtari

21 May 2010 at 21:36

वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री M VERMA जी का स्वागत है इस उम्दा रचना के साथ.

  rashmi ravija

22 May 2010 at 13:31

बहुत ही बढ़िया कविता..मौजूदा व्यवस्था को बेनकाब करती हुई

  Alpana Verma

23 May 2010 at 17:03

विश्व में सबसे ज्यादा हम
जांच कमीशन बिठाते हैं
अरे! कभी कभी तो
जांच कमीशन की जांच के लिए भी
जांच कमीशन ले आते हैं

-बहुत खूब लिखा है!

प्रभावी रचना .

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