मेरे घर की छत पर रोज कुछ पक्षी दाना चुगने और पानी पीने आते हैं. अपनी खुराक लेकर वो अगले दिन तक के लिये अपने काम धंधे पर लग जाते हैं. लेकिन दो तीन दिन से एक कबूतर निर्विकार भाव से 5/7 मिनट तक मुंडेर पर बैठा रहता है. और मैं चुपचाप खडा उसे देखता रहता हूं.
ताऊ को ध्यान मुद्रा की दिक्षा देने वाला गुरू या गुरूमाई?
ऐसा लगता है जैसे ये ताऊ को ध्यान मुद्रा की दीक्षा देना चाहता है. ध्यान पूर्वक इसकी तस्वीर देखते रहने से आपको भी इतनी शांति महसूस होती जान पडेगी कि देखते देखते आपका मन भी शांत हो जायेगा.
आज इस गुरू की फ़ोटो Canon 650D कैमरे से अपरेचर कम करके खींची. मैं अपरेचर कम इस लिये कर देता हूं जिससे सिर्फ़ आब्जेक्ट स्पष्ट आये, बैक ग्राऊंड की वजह से ध्यान इधर उधर भटकता है.
हां एक बात, आप में से कोई यह बता सकता है कि ताऊ को ध्यान मुद्रा सिखाने वाला यह गुरू है या गुरूमाई?:)
आपके जवाब का इंतजार रहेगा.
31 comments:
23 May 2013 at 20:10
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2013) के गर्मी अपने पूरे यौवन पर है...चर्चा मंच-अंकः१२५४ पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
23 May 2013 at 22:05
यदि पानी पी रहा है तो गुरु है और पी रही है तो गुरुमाई । बस...
23 May 2013 at 23:36
ये बताना तो बड़ा ही मुस्किल है.. बहरहाल; फोटो बड़ी अच्छी आई है.....
:)
25 May 2013 at 11:40
अब गुरु हो या गुरुमाई शिक्षा तो मिल रही है न ।
25 May 2013 at 13:56
गुरूमाई होगी तो अधिक प्यार करेंगे? गरू जी होंगे तो संभलकर रहेंगे? काहे चक्कर में रहते हैं और दूसरे को घनचक्कर में फंसाते हैं? :)
25 May 2013 at 19:14
इन्सान कल की बहुत सोचता है, इसीलिए उलझा रहता है...
26 May 2013 at 17:10
अगर ताऊ अथाह गहराई से सिख रहे हैं तो निश्चित तौर पर गुरुमाई ही होगी
27 May 2013 at 13:18
जिससे कुछ नेक सीख मिले मेरे हिसाब से वह गुरु ही कहलायेगा.
27 May 2013 at 19:10
wah re guru aur gurumai... :)
29 May 2013 at 03:16
हेहेहेहे..ताउ भी गच्चा खा गए....उल्टी खोपड़ी होते हुए भी उल्टा सवाल कर डाला...कंपटिटर को गुरु या गुरुभाई समझने की भूल कर रहे हो ताउ...ताउ वो थो आपके पास आवे इसलिए है के देख सके कि कौन किसका ध्यान भटका देता है..इब वो जीता..क्योंकि वो तो कुछ पूछता न से...निर्विकार रहता है..मगर ताउ की खोपड़ी में सवाल पैदा कर गया..हीहहीहीही..ताउ नेता की तरह गच्चा खा गए..ठीक वैसे जैसे नक्सली को भटका भाई बताते थे नेता..जब सुरभाकर्मी मारे जाते थे..इब वो आतंकवादी हो गए..हाहाहाहाहाह
29 May 2013 at 16:09
बहुत सुन्दर ...ध्यान कोई क्रिया तो नहीं है लेकिन जो भी क्रिया हम करते है जैसे की लिखना,पढ़ना,देखना सुनना आदि, यदि हर कार्य बोधपूर्वक हो तो वही ध्यान घटित होता है जैसे की कबूतर को देखना भी आपका ध्यान बन गया है !अब गुरु हो की गुरुमाई क्या फर्क पड़ता है,मेरे ख्याल से ज्यादातर नर मादा कबूतर एक जैसे ही दीखते है लेकिन स्थिर बैठने का अंदाज देखकर लगता है गुरुमाई ही होगी गुरु थोडा चंचल स्वभाव का होता है :)
30 May 2013 at 16:12
ram ram :)
1 June 2013 at 12:51
राम -राम ताऊ
जो भी पोस्ट पढ़ी लाजवाब
1 June 2013 at 12:52
मेरा कमेन्ट गायब .????
2 June 2013 at 22:29
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
सादर
आग्रह है पढें,ब्लॉग का अनुसरण करें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
3 June 2013 at 22:41
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
6 June 2013 at 17:23
बहुत सुन्दर .ये बताना तो बड़ा ही मुस्किल है.
8 June 2013 at 20:33
जो शिक्षा दे वह गुरु है या गुरुमाई क्या फ़र्क पड़ता है...
10 June 2013 at 16:56
गुरुमाई है ....गुरु के गर्दन में ज्यादा बाल होते हैं ....!!
11 June 2013 at 09:22
chalo harkirat jee ne bata hi diya .....
20 June 2013 at 13:53
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
22 June 2013 at 07:12
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,खूबसूरत !
26 June 2013 at 08:04
अच्छी प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
27 June 2013 at 15:17
लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
@मानवता अब तार-तार है
30 June 2013 at 18:15
सुन्दर..
29 July 2013 at 22:59
हम तो गुरु और गुरमाई में ही फंस गए है... पर मेरे ख्याल से गुरु शब्द ज्यादा उपयक्त है...
3 August 2013 at 00:12
प्रसाद प्रस्तुत करें, यदि चुगेगा तो गुरुजी और चुगेगी तो गुरुमाई ।
4 August 2013 at 14:38
sunder
17 October 2013 at 14:54
इस बात से क्या फर्क पड़ता है की वह गुरु है या .......
मोल करो तलवार का पड़ा रहन दो म्यान।
3 November 2014 at 20:51
बहोत लोगों जबाब दे दिए हैं मैं क्या कहूँ
3 November 2014 at 20:54
जवाब बहोत लोगों ने दे दिए हैं में क्या कहूँ
http://savanxxx.blogspot.in
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